- सुप्रीम कोर्ट: 'सिफारिश के बाद भी जजों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई?', सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट: 'सिफारिश के बाद भी जजों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई?', सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट: कॉलेजियम द्वारा बार-बार अनुरोध के बावजूद जजों की नियुक्ति न किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जानकारी मांगी है। इसके अलावा कोर्ट ने लंबित न्यायिक नियुक्तियों की संख्या और स्थिति के बारे में भी जानकारी देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने लंबित न्यायिक नियुक्तियों पर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित लंबित न्यायिक नियुक्तियों की संख्या और स्थिति के साथ-साथ देरी के कारणों की जानकारी देने का निर्देश दिया है। यह निर्देश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी (जजों के लिए) नहीं है जिसकी सिफारिशों को रोका जा सके। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी से कॉलेजियम द्वारा दिए गए नामों की सूची उपलब्ध कराने और यह बताने को कहा कि "वे क्यों लंबित हैं और किस चरण में हैं?"

 

नियुक्तियां लंबित क्यों हैं- सीजेआई

सीजेआई ने कहा, यदि आप कृपया कॉलेजियम द्वारा दिए गए नामों की सूची बनाकर बता सकते हैं कि यह क्यों लंबित है और किस चरण में लंबित है... तो हमें बताएं कि यह लंबित क्यों है। पीठ ने कहा कि कुछ नियुक्तियां अभी भी प्रक्रिया में हैं और "हमें उम्मीद है कि यह बहुत जल्द हो जाएगी। इसके बाद अटॉर्नी जनरल द्वारा स्थगन के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए इस जनहित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी गई।

याचिकाकर्ता ने की थी यह मांग

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट हर्ष विभोर सिंघल ने दायर की थी। एडवोकेट हर्ष विभोर सिंघल ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिश के बाद जजों की नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए एक निश्चित समय सीमा तय करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। ताकि यदि नियुक्ति नहीं हो रही है तो सुप्रीम कोर्ट को एक समय सीमा के भीतर तथ्यों के साथ इसके पीछे का कारण बताया जाए। याचिका में कहा गया है कि कोई निश्चित समय सीमा नहीं होने के कारण सरकार मनमाने ढंग से नियुक्तियों को अधिसूचित करती रही है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक देरी होती है और न्यायपालिका की स्वायत्तता प्रभावित होती है।

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