ओला कैब ड्राइवर द्वारा एक महिला का यौन उत्पीड़न किए जाने के बाद एकल न्यायाधीश की पीठ ने ओला को महिला को मुआवजा देने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ कंपनी हाईकोर्ट गई और कहा कि ड्राइवर हमारा कर्मचारी नहीं है और नियमों के तहत मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है। हाईकोर्ट ने इस मामले में पुराने आदेश पर रोक लगा दी है।
बेंगलुरू। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें ऐप आधारित कैब एग्रीगेटर ओला को 2019 में ड्राइवर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार और एमजी उमा की खंडपीठ ने 30 सितंबर के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ एएनआई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (ओला) की अपील पर अंतरिम आदेश पारित किया। अपने फैसले में एकल न्यायाधीश की पीठ ने माना था कि एएनआई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (ओला) और उसके ड्राइवरों के बीच संबंध नियोक्ता-कर्मचारी का था।