सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियां डिजिटल गिरफ्तारी के जरिए लोगों को साइबर अपराध और धोखाधड़ी के बारे में सचेत और सावधान करने के लिए बहुत मेहनत कर रही हैं। विज्ञापन और मीडिया लोगों को बता रहे हैं कि डरो मत, पुलिस किसी को डिजिटल तरीके से गिरफ्तार नहीं करती है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इतना ही काफी नहीं होगा।
नई दिल्ली। सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियां डिजिटल गिरफ्तारी के जरिए लोगों को साइबर अपराध और धोखाधड़ी के बारे में सचेत और सावधान करने के लिए बहुत मेहनत कर रही हैं। विज्ञापन और मीडिया लोगों को बता रहे हैं कि डरो मत, पुलिस किसी को डिजिटल तरीके से गिरफ्तार नहीं करती है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इतना ही काफी नहीं होगा।
साइबर अपराध के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए अपराधियों को सख्त सजा देने के साथ-साथ उन सेवा प्रदाताओं जैसे दूरसंचार कंपनियों और बैंकों पर भी जिम्मेदारी डालने की जरूरत है, जिनसे कॉल करने के लिए फर्जी सिम का इस्तेमाल किया जाता है और जहां खाते खोलकर पैसे निकाले जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों और सेवा प्रदाताओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए। साइबर अपराध से निपटने की प्रक्रिया में खामियों को दूर करके ही इस पर काबू पाया जा सकता है।