- चेन्नई मेट्रो के लिए फंड मंजूर, स्टालिन सरकार पर केंद्र मेहरबान, एनडीए सहयोगियों को क्या संदेश?

चेन्नई मेट्रो के लिए फंड मंजूर, स्टालिन सरकार पर केंद्र मेहरबान, एनडीए सहयोगियों को क्या संदेश?

केंद्र सरकार जिस तरह से तमिलनाडु पर मेहरबान नजर आ रही है, उसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मोदी सरकार का यह कदम केंद्र और तमिलनाडु के बीच लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने की कोशिश है।

केंद्र सरकार ने चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना चरण-2 की अनुमानित लागत का करीब 65 फीसदी वहन करने का फैसला किया है। प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना चरण 2 को केंद्रीय क्षेत्र की परियोजना के रूप में मंजूरी दी है।

 

केंद्र सरकार 63,246 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत का करीब 65 फीसदी वित्त पोषण करेगी।' यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दरअसल, अब तक यह परियोजना राज्य क्षेत्र की परियोजना के रूप में क्रियान्वित की जा रही थी, जिसमें परियोजना वित्तपोषण की जिम्मेदारी मुख्य रूप से तमिलनाडु सरकार पर थी, जो अनुमानित परियोजना लागत का करीब 90 फीसदी थी।

मेट्रो रेल नीति 2017 के अनुसार, केंद्र सरकार की भूमिका भूमि लागत और कुछ अन्य मदों को छोड़कर परियोजना लागत का 10 प्रतिशत वित्तपोषित करना था। विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों से सीधे 32,548 करोड़ रुपये का ऋण जुटाने में भी सहायता की है। इसमें से अब तक लगभग 6,100 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है। हाल ही में मिली मंजूरी के साथ, केंद्र सरकार अब चेन्नई मेट्रो चरण 2 की अनुमानित लागत का लगभग 65 प्रतिशत वित्तपोषित करेगी। इस वित्तपोषण में 7,425 करोड़ रुपये के इक्विटी और अधीनस्थ ऋण के अलावा 33,593 करोड़ रुपये का संपूर्ण आवश्यक ऋण शामिल होगा। अनुमानित लागत का शेष 35 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया

सीएम एमके स्टालिन ने चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना चरण-2 की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। स्टालिन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 'माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, आपसे मेरी पिछली मुलाकात के दौरान हमारे अनुरोध को स्वीकार करने और चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना के दूसरे चरण को मंजूरी देने के लिए धन्यवाद। 

तमिलनाडु के लोगों की लंबे समय से लंबित मांग अब स्वीकार कर ली गई है। हमें इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने का भरोसा है।' इससे पहले 27 सितंबर को नई दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद स्टालिन ने पोस्ट किया था, 'माननीय प्रधानमंत्री थिरु नरेंद्र मोदी के साथ सौहार्दपूर्ण बैठक हुई, जहां मैंने तमिलनाडु से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की। तमिलनाडु के हित के लिए प्रधानमंत्री से त्वरित और सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद है।'

क्या संदेश देना चाह रही है केंद्र सरकार

जिस तरह से केंद्र सरकार तमिलनाडु पर मेहरबान नजर आ रही है, उसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मोदी सरकार का यह कदम केंद्र और तमिलनाडु के बीच लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने की कोशिश है। साथ ही इसके पीछे कोई गहरा राजनीतिक संदेश भी छिपा हो सकता है।

दरअसल, डीएमके भारत गठबंधन का एक प्रमुख घटक है। 

भाजपा नेताओं का मानना ​​है कि इस फैसले से पार्टी और केंद्र के बीच डीएमके सरकार के साथ तनाव कम हुआ है। साथ ही, इससे एनडीए के 'मांग करने वाले' सहयोगियों पर लगाम लग सकती है। आरएसएस के एक नेता ने केंद्र के इस कदम को रणनीतिक बताया। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य विपक्ष शासित राज्यों के साथ भी भाजपा को सहयोगी के रूप में दिखाना है। इससे डीएमके के साथ अच्छे संबंध बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह एनडीए सहयोगियों को संदेश देगा कि हमारे मित्र हैं, यहां तक ​​कि अखिल भारतीय गठबंधन में भी। हम सभी की मांगों पर ध्यान देते हैं जिससे केंद्र की स्थिति मजबूत होगी।

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