'हिंदुत्व' शब्द को 'भारतीय संविधान' या 'भारतीय संविधान' शब्द से बदलने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। डॉ. एसएन कुंद्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने जब कोर्ट में दलीलें पेश करने की कोशिश की तो सीजेआई ने नाराजगी जताई।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 अक्टूबर) को 'हिंदुत्व' शब्द को 'भारतीय संविधान' या 'भारतीय संविधान' शब्द से बदलने के मामले में याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। डॉ. एसएन कुंद्रा ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने जब कोर्ट में दलीलें पेश करने की कोशिश की तो सीजेआई ने नाराजगी जताई।
याचिकाकर्ता ने कहा कि हिंदुत्व शब्द संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों से ज्यादा जुड़ा हुआ है।
याचिकाकर्ता की दलील पर सीजेआई ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया का पूरी तरह दुरुपयोग है। उन्होंने कहा, नहीं सर, हम इस मामले की सुनवाई नहीं करेंगे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने याचिका खारिज कर दी।
इससे पहले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जनता की अदालत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भूमिका बरकरार रहनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाए।
सीजेआई ने कहा कि कोई व्यक्ति अदालत की असंगति या कानूनी सिद्धांत की त्रुटि के लिए आलोचना कर सकता है। हालांकि, इसकी भूमिका को परिणामों के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए।
सीजेआई ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट जनता की अदालत है। मुझे लगता है कि जनता की अदालत के तौर पर शीर्ष अदालत की भूमिका भविष्य के लिए भी बरकरार रहनी चाहिए। हालांकि, जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएं।