- 'मुझे कुछ समझ नहीं आया...', रवनीत सिंह बिट्टू के हिंदी में लिखे पत्र का डीएमके सांसद ने तमिल में दिया जवाब

'मुझे कुछ समझ नहीं आया...', रवनीत सिंह बिट्टू के हिंदी में लिखे पत्र का डीएमके सांसद ने तमिल में दिया जवाब

बिट्टू का यह पत्र सांसद अब्दुल्ला के उन सवालों के जवाब में था, जो उन्होंने ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता और साफ-सफाई से जुड़े मुद्दों को लेकर उठाए थे। डीएमके सांसद ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री के कार्यालय में तैनात अधिकारियों को कई बार फोन करके अनुरोध किया था कि पत्र अंग्रेजी में भेजा जाए, क्योंकि उन्हें हिंदी समझ में नहीं आती।

 

डीएमके नेता और पुडुकोट्टई से राज्यसभा सांसद एमएम अब्दुल्ला ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा हिंदी में लिखे गए पत्र का तमिल में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि 'उन्हें पत्र का एक भी शब्द समझ में नहीं आया।' यह मामला तब चर्चा में आया, जब अब्दुल्ला ने दोनों पत्रों की प्रतियां सोशल मीडिया पर साझा कीं और अपनी असहजता जाहिर करते हुए कहा कि अधिकारियों को कई बार याद दिलाने के बावजूद पत्राचार हिंदी में ही भेजा जा रहा है।

बिट्टू का यह पत्र सांसद अब्दुल्ला के उन सवालों के जवाब में था, जो उन्होंने ट्रेनों में खाने की गुणवत्ता और साफ-सफाई से जुड़े मुद्दों को लेकर उठाए थे। डीएमके सांसद ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री के कार्यालय में तैनात अधिकारियों को कई बार फोन करके अनुरोध किया कि पत्र अंग्रेजी में भेजा जाए, क्योंकि वह हिंदी नहीं समझते हैं। इसके बावजूद लगातार पत्र हिंदी में भेजे जा रहे थे।

 

अब्दुल्ला ने कहा, 'रेल राज्य मंत्री के कार्यालय से भेजे जाने वाले पत्र हमेशा हिंदी में होते हैं। मैंने उनके कार्यालय में तैनात अधिकारियों को फोन करके कहा कि मुझे हिंदी समझ में नहीं आती है, कृपया पत्र अंग्रेजी में भेजें, लेकिन फिर भी पत्र हिंदी में भेजा गया।

इस बार मैंने जवाब इस तरह भेजा है कि मंत्री समझ सकें और उसके अनुसार कार्रवाई कर सकें।" उन्होंने तमिल में पत्र लिखकर केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि भविष्य में उनके साथ किसी भी तरह का पत्राचार अंग्रेजी में किया जाए ताकि संचार में कोई रुकावट न आए।

इस मामले पर डीएमके ने हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए अपना विरोध दोहराया है। गौरतलब है कि इससे पहले 2022 में भी डीएमके ने केंद्र पर देश के अन्य इलाकों में हिंदी थोपने का आरोप लगाया था। इस विषय पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद विवाद और गहरा गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं का नहीं बल्कि अंग्रेजी का विकल्प बनाया जाना चाहिए।

इस पर डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हिंदी को जबरन थोपने की कोशिश से देश की एकता और अखंडता पर असर पड़ेगा।

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