- तानसेन समारोह 2024: ग्वालियर में 536 कला साधकों ने एक साथ नौ वाद्य यंत्र बजाकर बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

तानसेन समारोह 2024: ग्वालियर में 536 कला साधकों ने एक साथ नौ वाद्य यंत्र बजाकर बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

आज के संगीत साधक ग्वालियर में जन्मे तानसेन और बैजू बावरा जैसे महान संगीतज्ञों को भगवान की तरह पूजते हैं। इससे पहले ग्वालियर के ऐतिहासिक किले में बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार के साथ मिलकर वाद्य यंत्र बजाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था।

ग्वालियर का ऐतिहासिक किला रविवार को वाद्य यंत्रों की संयुक्त ध्वनि से गूंज उठा। सामूहिक प्रस्तुति के जरिए संगीत सम्राट तानसेन को संगीतमय श्रद्धांजलि दी गई। यह प्रस्तुति तानसेन द्वारा रचित तीन रागों मल्हार, मियां की टोड़ी और दरबारी कान्हड़ा पर आधारित थी।

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 इस प्रस्तुति का संयोजन बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार ने किया। सामूहिक प्रस्तुति में वाद्य यंत्रों के साथ गायन भी शामिल था। लगातार नौ मिनट तक वाद्य यंत्र बजाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। संगीत साधना को समर्पित सामूहिक प्रस्तुति में देश और प्रदेश के 536 कलाकारों ने एक साथ नौ शास्त्रीय वाद्य यंत्र बजाए।

इसमें 347 पुरुष कलाकार और 189 महिला कलाकार शामिल थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और मंत्री तुलसी सिलावट मौजूद थे।

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महादेव के लिए डमरू और श्री कृष्ण के लिए बांसुरी आनंद का स्रोत है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारे सभी देवी-देवताओं की पहचान किसी न किसी वाद्य यंत्र से जुड़ी है। दुनिया के सबसे पहले वाद्य यंत्र की प्रेरणा का स्रोत बारिश की बूंद है।

तालाब या नदी में गिरने वाली पहली पानी की बूंद की ध्वनि डमरू की ध्वनि से जुड़ती है। नतीजतन डमरू दुनिया का पहला वाद्य यंत्र है, जो भगवान शिव से जुड़ा है। भगवान श्री कृष्ण के लिए बांसुरी आनंद का स्रोत है।

ग्वालियर किले में वाद्य यंत्रों के विश्व रिकॉर्ड के साथ तानसेन संगीत समारोह की शुरुआत

 ग्वालियर में शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित समारोह सुर सम्राट तानसेन के शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत रविवार शाम को हुई।

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तानसेन समाधि परिसर में महेश्वर के ऐतिहासिक किले की थीम पर निर्मित भव्य एवं आकर्षक मंच का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर भी मौजूद थे।

चार देशों के कलाकार आए

हमारे देश के शीर्ष संगीतज्ञों के साथ-साथ चार अन्य देशों के संगीत कलाकार भी संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि देने आए हैं। तानसेन महोत्सव के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में डाक विभाग द्वारा 5 रुपए का डाक टिकट जारी किया गया है।

स्मारिका का विमोचन

इस अवसर पर डाक टिकट, तानसेन समारोह की 100 वर्ष की यात्रा पर केन्द्रित पुस्तक तथा इस वर्ष के आयोजन पर तैयार स्मारिका का विमोचन भी किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संगीतधानी ग्वालियर का उत्सवधर्मिता देशभर में अपनी विशेष पहचान रखती है, इसके साथ ही संगीत और कला को प्रोत्साहित करने तथा कलाकारों का सम्मान बढ़ाने की परम्परा भी यहाँ अनूठी है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- ग्वालियर को संगीत का गढ़ बनाने का प्रयास करेंगे

केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह वर्ष तानसेन समारोह का शताब्दी वर्ष है, जिसकी शुरूआत 1924 में सिंधिया शासनकाल में हुई थी। इसे ग्वालियर के इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्वालियर को संगीत की नगरी के रूप में जाना जाता है।

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ग्वालियर को संगीत का गढ़ बनाने का कार्य हम सब मिलकर करेंगे। सिंधिया ने बैजू बावरा की स्मृति में चंदेरी संगीत समारोह को भव्य बनाने पर भी जोर दिया। राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने आभार व्यक्त किया।

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