राज्य जीएसटी के अनुसार जीएसटी नेटवर्क (जीएसटी पोर्टल) का संचालन दिल्ली से होता है। बदलाव का प्रस्ताव दिल्ली भेजा गया है। विभाग के अनुरोध पर सुझाव दिया गया है कि रिटर्न में पुरानी और नई आईटीसी दिखाने के लिए एक नया कॉलम जोड़ा जाए। इससे व्यापारियों को पुरानी और नई जानकारी दिखाने में आसानी होगी और कोई मिसमैच नहीं होगा।
कारोबारियों और व्यापारियों के वार्षिक जीएसटी रिटर्न फॉर्म (जीएसटीआर-9) में नई समस्या खड़ी हो गई है। व्यापारी वार्षिक रिटर्न में अपने इनपुट टैक्स क्रेडिट का ब्योरा तो सही दे रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन रिटर्न फॉर्म में गड़बड़ी दिख रही है।
वजह यह है कि जीएसटी ने हाल ही में मासिक रिटर्न सिस्टम में बदलाव किया है, लेकिन वार्षिक रिटर्न फॉर्म पुराने फॉर्मेट में ही रखा है। कारोबारी परेशान हैं और रिटर्न दाखिल करने में पसीना बहा रहे हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट और टैक्स कंसल्टेंट खुद विभाग के पास पहुंचकर गलती सुधारने का तरीका बता रहे हैं।
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वित्त वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की गणना एक ही फॉर्म 2-ए के आधार पर की गई। इस फॉर्म में आपूर्तिकर्ता व्यापारी द्वारा भुगतान किए गए टैक्स-क्रेडिट की गणना की गई। इसी आधार पर पिछले सालों के लिए वार्षिक रिटर्न फॉर्म का प्रारूप बनाया गया और इसे भरा गया। इस साल जीएसटी में एक और मासिक फॉर्म 2-बी जारी किया गया।
इस फॉर्म में व्यापारी के आईटीसी की गणना ऑटोमेटिक सिस्टम से आने लगी। मासिक रिटर्न फॉर्म में बदलाव करने वाला जीएसटी नेटवर्क वार्षिक रिटर्न फॉर्म में बदलाव करना भूल गया।
अब नए मासिक फॉर्म 2-बी के कारण जब व्यापारी वार्षिक रिटर्न जमा करने का प्रयास कर रहे हैं तो उनका इनपुट टैक्स क्रेडिट अकाउंटिंग बुक्स से मेल नहीं खा रहा है। व्यापारियों और कर सलाहकारों ने जीएसटी से इसकी शिकायत की है। जीएसटी ने कर सलाहकारों से सुझाव मांगे हैं कि किस तरह सुधार किया जा सकता है।
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मप्र टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन लखोटिया के अनुसार वार्षिक रिटर्न जमा करने वाले व्यापारी अपने इनपुट टैक्स की सही गणना भर रहे हैं जो अकाउंटिंग बुक्स में है। इसके बाद भी वार्षिक रिटर्न में यह मेल नहीं खा रहा है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि फॉर्म 2-बी के नए फॉर्मेट के कारण पिछले वर्षों का इनपुट टैक्स क्रेडिट भी इस वर्ष के रिटर्न में दिखाई दे रहा है।