- फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट: ओंकारेश्वर में देश के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पावर प्रोजेक्ट से प्रदूषण मुक्त बिजली का उत्पादन शुरू

फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट: ओंकारेश्वर में देश के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पावर प्रोजेक्ट से प्रदूषण मुक्त बिजली का उत्पादन शुरू

ओंकारेश्वर जलाशय में 600 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनाया गया है। यह परियोजना देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग पीवी प्लांट है और दुनिया के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर इंस्टॉलेशन में से एक है। पहले चरण में 278 मेगावाट प्रदूषण रहित बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है।

केंद्र सरकार की अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (यूएमआरईपीपी) योजना के तहत सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम द्वारा ओंकारेश्वर जलाशय में दो चरणों में 600 मेगावाट का ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है।

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 यह परियोजना देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग पीवी प्लांट और दुनिया के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर इंस्टॉलेशन में से एक है। पहले चरण में तीन कंपनियों ने यहां 278 मेगावाट प्रदूषण रहित बिजली का व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है। जिसका आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली उद्घाटन करेंगे।

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वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो गया है

ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर पर स्थित फ्लोटिंग सोलर पावर हाउस के प्रथम चरण में 278 मेगावाट हरित ऊर्जा का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया है। इससे मध्य प्रदेश को सस्ती और प्रदूषण मुक्त बिजली मिलने लगी है। यहां एनएचडीसी 88 मेगावाट, एएमपी एनर्जी 100 मेगावाट और एसजेवीएन 90 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2030 तक देश में 5000 गीगावाट गैर-परंपरागत ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय करने का आह्वान किया है। जिले की पुनासा तहसील में बैकवाटर पर स्थापित यह सौर परियोजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

एक वर्ष में 204.58 मिलियन यूनिट का लक्ष्य

ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट से उत्पादित बिजली एमपीपीजीसीएल को बेची जा रही है। इसके लिए बैकवाटर किनारे ग्राम सत्तापुर में 33 केवीए क्षमता का विद्युत सबस्टेशन और कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां 100-100 मेगावाट क्षमता के चार ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं।

जो 33 केवीए को 220 केवीए में परिवर्तित कर यहां से मध्य प्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी के छैगांव माखन सबस्टेशन को बिजली सप्लाई करती है। इस परियोजना से एक साल में 204.58 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली का उत्पादन होगा। ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर जलाशय में 207.4 हेक्टेयर क्षेत्र में सोलर पैनल लगाए गए हैं।

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सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लाभ

  • सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आती है।
  • हर किलोवाट घंटे में करीब 50 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की बचत होती है।
  • कोयले से बिजली उत्पादन की तुलना में करीब 20 गुना कम कार्बन उत्सर्जन होता है।
  • कोयले से बिजली उत्पादन की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में 80 प्रतिशत की कमी आई है।
  • कार्बन उत्सर्जन में इतनी महत्वपूर्ण कमी आई है कि सोलर पैनल लगाने के तीन साल के भीतर ही अधिकांश सोलर पैनल कार्बन न्यूट्रल हो जाते हैं।
  • कार्बन उत्सर्जन में इतनी महत्वपूर्ण कमी आई है कि यह 432 गैलन गैस के कार्बन उत्सर्जन के बराबर है।
  • यह कार्बन उत्सर्जन करीब एक साल के लिए कार को सड़क से हटाने के बराबर है।
  • सौर ऊर्जा के अलावा पवन ऊर्जा भी कार्बन मुक्त ऊर्जा का स्रोत है।

पहले चरण में 278 मेगावाट बिजली उत्पादन

पहले चरण में सोलर पावर प्लांट से 278 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। इसे कंपनियों द्वारा मध्य प्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी को अनुबंध दरों पर बेचा जा रहा है। दूसरे चरण के लिए टेंडर खोलने की प्रक्रिया चल रही है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजराहो से इसका वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। - राजेंद्र गोयल, जिला प्रबंधक, मप्र ऊर्जा विकास निगम।

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