- भागवत ने संघ नेता मोरोपंत पिंगले का हवाला देते हुए 75 साल की उम्र में संन्यास की बात कही, कयास लगने शुरू

भागवत ने संघ नेता मोरोपंत पिंगले का हवाला देते हुए 75 साल की उम्र में संन्यास की बात कही, कयास लगने शुरू

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के 75 साल की उम्र में संन्यास लेने की अटकलें तब शुरू हुईं जब उन्होंने मोरोपंत पिंगले के 75 साल की उम्र में संन्यास लेने का किस्सा सुनाया। भागवत 11 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे। हालाँकि, उन्होंने मोरोपंत के एक बयान का सिर्फ़ हवाला दिया था। भागवत के पूरे साल के कार्यक्रम आरएसएस के शताब्दी वर्ष के लिए निर्धारित हैं, जो 2026 तक चलेगा।
यह चर्चा का विषय है कि क्या 75 साल की उम्र में संन्यास ले लेना चाहिए। लेकिन जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने खुद एक कार्यक्रम में संघ नेता मोरोपंत पिंगले का हवाला देते हुए 75 साल की उम्र में संन्यास लेने का किस्सा सुनाया, तो अटकलें शुरू हो गईं कि क्या वह खुद संन्यास लेने के बारे में सोच रहे हैं।

दरअसल, वह 11 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने मोरोपंत के एक बयान का सिर्फ़ हवाला दिया था। वैसे, मोहन भागवत के पूरे साल के कार्यक्रम आरएसएस के शताब्दी वर्ष के लिए निर्धारित हैं। आरएसएस का शताब्दी वर्ष इस साल 2 अक्टूबर को पूरा हो रहा है और उसके बाद एक साल तक कार्यक्रम चलते रहेंगे।

मोहन भागवत करेंगे संवाद कार्यक्रम

नवंबर 2026 में दिल्ली में एक विशाल जनसभा के साथ इसका समापन होगा। अगले महीने से मोहन भागवत का चार महानगरों में प्रबुद्ध लोगों से संवाद का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। दरअसल, मोरोपंत पिंगले पर एक पुस्तक के विमोचन के दौरान मोहन भागवत ने पिछले साल वृंदावन में हुई आरएसएस की बैठक का किस्सा सुनाया।
भागवत के अनुसार, बैठक के दौरान मोरोपंत पिंगले को 75 वर्ष पूरे होने पर शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। भागवत के अनुसार, इस अवसर पर पिंगले ने कहा कि '75 वर्ष की शॉल ओढ़ाने का मतलब मैं जानता हूँ... इसका मतलब है कि अब आप बूढ़े हो गए हैं, आप अलग हो जाइए... अब बाकी लोगों को काम करने दीजिए।' भागवत के इस बयान को उनके संन्यास से जोड़कर देखा जाने लगा।
यह भी जानिये:-

पिछले हफ्ते, 4 से 6 जुलाई तक दिल्ली में हुई आरएसएस के प्रांत प्रचारकों की बैठक में भागवत के कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया गया। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि शताब्दी वर्ष के सभी कार्यक्रमों की योजना मोहन भागवत को ध्यान में रखकर बनाई गई है। ऐसे में उनके बीच में ही संन्यास लेने का सवाल ही नहीं उठता। वैसे भी, आरएसएस में सरसंघचालक या किसी अन्य पदाधिकारी के लिए सेवानिवृत्ति की कोई निश्चित आयु नहीं होती। सरसंघचालक स्वयं तय करते हैं कि उन्हें कब सेवानिवृत्त होना है।

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