- एक राष्ट्र एक चुनाव: 'चुनाव आयोग को बेलगाम ताकत नहीं दी जा सकती...', जेपीसी बैठक में पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने दो टूक कहा

एक राष्ट्र एक चुनाव: 'चुनाव आयोग को बेलगाम ताकत नहीं दी जा सकती...', जेपीसी बैठक में पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने दो टूक कहा

डिजिटल डेस्क नई दिल्ली। एक देश-एक चुनाव संबंधी 129वें संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने कहा कि चुनाव आयोग को अनियंत्रित अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए। उन्होंने निर्वाचित सरकार का कार्यकाल पाँच वर्ष सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया। पीपी चौधरी ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर विधेयक में संशोधन किया जाएगा।
एक राष्ट्र, एक चुनाव संबंधी 129वें संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक आज (11 जुलाई) संसद भवन में हुई। इस बैठक में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने भी भाग लिया। उन्होंने बैठक के दौरान अपने विचार भी रखे।
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दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रणाली को लागू करने में भारत के चुनाव आयोग को अनियंत्रित अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए।इससे पहले, पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी प्रस्तावित संविधान संशोधन अधिनियम में चुनाव आयोग को दी गई "व्यापक शक्तियों" पर सवाल उठाया था। डीवाई चंद्रचूड़ और जेएस खेहर ने संसदीय समिति को सुझाव दिया कि चुनावों के संचालन पर एक "निगरानी तंत्र" होना चाहिए।

'निर्वाचित सरकार का पाँच वर्ष का कार्यकाल आवश्यक'

एक न्यायाधीश ने यह भी कहा कि सुशासन के लिए निर्वाचित सरकार का पाँच वर्ष का कार्यकाल महत्वपूर्ण है। इसे (पाँच वर्ष के कार्यकाल को) किसी भी परिस्थिति में कम नहीं किया जाना चाहिए। संसद की संयुक्त समिति संविधान (एक सौ उनतीसवाँ संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश विधि (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार कर रही है।
भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति, राज्यों में विधानसभाओं और संसद के एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इस विधेयक पर अपनी सिफारिशें तैयार करने के लिए न्यायविदों और कानूनी विशेषज्ञों से बात कर रही है।

विधेयक में संशोधन की ज़रूरत पड़ी तो हम करेंगे: पीपी चौधरी

पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के सुझावों पर पीपी चौधरी ने कहा, "जहाँ तक चुनाव आयोग के प्रावधान का सवाल है, अगर हमें लगेगा कि विधेयक में संशोधन की ज़रूरत है, तो हम संशोधन करेंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "हम राष्ट्रहित में संशोधन करने के बाद ही अपनी रिपोर्ट संसद को भेजेंगे।"

उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रणाली राष्ट्र निर्माण के लिए ज़रूरी है।" चौधरी ने यह भी कहा कि "यह ज़रूरी है कि विधेयक की संवैधानिकता बरकरार रहे ताकि यह व्यवस्था अगले सैकड़ों वर्षों तक चलती रहे।"

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