न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एक याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई गई है। दरअसल, उन्होंने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को केवल 'वर्मा' कहा था।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा नकदी मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एक याचिकाकर्ता को अदालत ने कड़ी फटकार लगाई है। याचिकाकर्ता ने बार-बार न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को केवल 'वर्मा' कहा। इससे नाराज मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा, 'वह आपके मित्र नहीं हैं। यह मत भूलिए कि वह अभी भी उच्च न्यायालय के एक सम्माननीय न्यायाधीश हैं। उनका नाम इस तरह नहीं लिया जा सकता।'
वकील मैथ्यूज नेदुम्परा ने इससे पहले न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर दो बार याचिका दायर की थी। पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की एक आंतरिक समिति गठित की है। फिर दूसरी बार उसने कहा कि समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी गई है।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई से जल्द सुनवाई का अनुरोध
तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले नेदुम्परा ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया। नेदुम्परा ने कहा, 'वर्मा ने खुद ही ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि एफआईआर ज़रूरी है।' इस पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई नाराज़ हो गए।
उन्होंने कहा, 'आप उन्हें कैसे संबोधित कर रहे हैं? वे तो अभी भी जस्टिस वर्मा ही हैं।' इस पर नेदुम्परा ने कहा कि उनकी नज़र में जस्टिस वर्मा इतने सम्मान के लायक नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश ने मामले की तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा, 'अदालत को सही-गलत की शिक्षा मत दीजिए।'
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
बता दें कि पिछले हफ़्ते जस्टिस यशवंत वर्मा ने समिति के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है और एक याचिका दायर की है। याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा है कि समिति ने उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया। पूर्व निर्धारित सोच के आधार पर काम किया और अपना निष्कर्ष दिया। यह जाँच ज़रूरी थी कि यह नकदी किसकी थी? लेकिन उचित जांच करने के बजाय समिति ने उनसे यह साबित करने को कहा कि नकदी उनकी नहीं थी।