उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की नीतियों के कारण महिलाओं की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। पिछले सात वर्षों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में उनकी भागीदारी में 22 अंकों की वृद्धि हुई है।
उत्तर प्रदेश ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में बड़ी सफलता हासिल की है। हाल ही में जारी WEE (महिला आर्थिक सशक्तिकरण) सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में महिला श्रम भागीदारी दर 2017-18 में 14 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 36 प्रतिशत हो गई है।
योगी सरकार द्वारा महिलाओं के संबंध में लिए गए नीतिगत निर्णयों के कारण पिछले सात वर्षों में महिलाओं की भागीदारी दर में 22 अंकों की वृद्धि हुई है। जो सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी में ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है।
आर्थिक सशक्तिकरण में बढ़ी भागीदारी
योगी सरकार की योजनाएँ और नीतियाँ अब महिला सशक्तिकरण के एक सशक्त मॉडल के रूप में उभर रही हैं। सीएम योगी ने 2017-18 में मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी संभाली, जिसके बाद महिलाओं को सुरक्षित, सम्मानजनक और उत्पादक कार्य वातावरण प्रदान करने की दिशा में निरंतर पहल की गई।
राज्य सरकार ने महिला सुरक्षा, मिशन शक्ति से लेकर सरकारी नौकरियों में महिलाओं की विशेष भागीदारी, औद्योगिक इकाइयों में अवसर बढ़ाने के लिए रात्रि पाली में काम करने की अनुमति जैसे सभी नीतिगत निर्णयों के केंद्र में महिलाओं को रखा है।
योगी सरकार की नीतियों से आया बदलाव
इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023-24 में जहाँ भारत की महिला श्रम भागीदारी दर 45 प्रतिशत है, वहीं उत्तर प्रदेश की दर 36 प्रतिशत थी। हालाँकि यह आँकड़ा देश के औसत से थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन 2017-18 में उत्तर प्रदेश की भागीदारी दर केवल 14 प्रतिशत थी, जो देश के औसत 25 प्रतिशत से काफ़ी कम थी।
योगी सरकार के कार्यकाल में राज्य ने इस क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। योगी सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई अहम फ़ैसले लिए। जिसमें खतरनाक श्रेणी के 29 प्रकार के कारखानों में महिलाओं को काम करने की अनुमति देना एक बड़ा कदम है। यह अनुमति कुछ विशेष शर्तों और सुरक्षा मानकों के तहत दी गई है।
रात्रि पाली में काम करने की अनुमति
इसके अलावा, योगी सरकार में महिलाओं को रात्रि पाली में काम करने की अनुमति दी गई। इसके लिए कंपनियों द्वारा पर्याप्त सुरक्षा, परिवहन, भोजन और आराम की सुविधा प्रदान करने की शर्तें तय की गई हैं, ताकि महिलाएं रात्रि पाली में भी निडर होकर काम कर सकें।
आंकड़ों के अनुसार, कारखानों में पुरुषों के समान समान कार्य के लिए समान वेतन, ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण में महिलाओं की 53 प्रतिशत भागीदारी, निर्माण क्षेत्र में 34.65 प्रतिशत महिला श्रमिक, ये सभी संकेत देते हैं कि राज्य में महिलाओं की भागीदारी अब नीतिगत तक सीमित नहीं है, बल्कि एक वास्तविक बदलाव के रूप में उभर रही है। ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।