- BJP नेता की हत्या, जेल से वसूली... कंपाउंडर से माफिया बना था संजीव जीवा, पत्नी लड़ चुकी विधानसभा चुनाव

लखनऊ। लखनऊ में एक कोर्ट में माफिया संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। संजीव माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी था। बीजेपी के बड़े नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में संजीव को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। संजीव पर एक दो नहीं बल्कि पूरे दो दर्जन केस थे। वह शुरुआत में दवा बेचता था, लेकिन देखते वह राज्य का बड़ा माफिया बन गया। वह जेल से ही फोन कर करोड़ो की वसूली भी करता था।



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संजीव का पूरा नाम संजीव माहेश्वरी था। वह मुजफ्फरनगर के आदमपुर गांव का रहने वाला था। जीवा माफिया मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर बताया जाता है। जीवा ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा 90 के दशक तक मुजफ्फरनगर में एक क्लीनिक पर कंपाउंडर का काम करता था। 


इसके बाद संजीव ने क्लीनिक के मालिक को ही अगवा किया था। संजीव जीवा का पहली बार बड़ा नाम आया जब संजीव ने नब्बे के दशक में ही कोलकाता के व्यापारी के बेटे को अगवा करके दो करोड़ फिरौती मांगी। फिर 1997 में संजीव जीवा बीजेपी के बड़े नेता और मायावती को गेस्ट हाउस कांड में बचाने वाले ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल रहा। बताया जाता है कि संजीव माहेश्वरी सुपर स्टार संजय दत्त का बड़ा फैन था। 90 के दशक में जब संजय दत्त की फिल्म जीवा आई, तब इसके बाद संजीव माहेश्वरी ने अपने नाम के आगे जीवा जोड़ लिया। 


साल 2000 में वह माफिया मुन्ना बजरंगी के द्वारा संजीव जीवा मुख्तार अंसारी का भी करीबी बन गया। 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्तार के साथ जीवा के भी शामिल होने का आरोप लगा। हालांकि, इस केस में वह बरी हो गया। 2003 में ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 


जेल में रहने के बावजूद संजीव जीवा बड़े-बड़े सफेद पोश लोगों और उद्योगपतियों के संपर्क मे रहता था, और जमीनों पर अवैध कब्जे कराता था। इसके लिए वह वसूली करता था। वह लोगों में अपना डर दिखाकर रंगदारी भी वसूल करता था। जीवा मुख्तार अंसारी के संपर्क में रहकर अपना गैंग चला रहा था। 


उसकी गैंग ने पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई वारदातों को अंजाम दिया था। 
संजीव अधिकारियों से सांठगांठ कर जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करता था। जेल से ही वह अपने गैंग के सदस्यों को निर्देश देता। जीवा की गैंग ने हरिद्वार, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर में अपहरण, डकैती, हत्या और लूट जैसी जघन्य वारदातों को अंजाम दिया।
जीवा ने राजनीति में आने की भी योजना बनाई थी, इसके तहत उसने वर्ष 2017 में पत्नी पायल को रालोद के टिकट पर सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। पायल की जमानत जब्ज हो गई थी। पायल को मात्र पांच हजार वोट मिली थीं। 


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