- एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ अपराधों में आई कमी

एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ अपराधों में आई कमी

पुलिस की सतर्कता के बाद प्रदेश में आए सुखद परिणाम
भोपाल । अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए प्रदेशभर में चिह्नित किए गए हॉट स्पॉट में कमी आई है। पुलिस मुख्यालय की अजाक शाखा ने वर्ष 2016 से वर्ष 2021 यानी पांच साल में एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ हुए अपराधों के आधार पर ऐसे हॉट स्पॉट चिह्नित किए थे, जहां पांच साल में पांच अपराध दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा उन क्षेत्रों की भी पहचान की थी, जहां पांच साल में दस या इससे अधिक अपराध हुए हैं।


 प्रदेशभर में ऐसे 906 हॉट स्पॉट चिह्नित हुए थे, इनमें 64 एक्सट्रीम हॉट स्पॉट थे। हॉट स्पॉट पर जनचेतना शिविर, साक्षी संरक्षण योजना के क्रियान्वयन समेत जागरुकता अभियान से अपराधों में कमी आई है। नतीजतन 906 हॉट स्पॉट में से 473 क्षेत्र इस सूची से बाहर हुए हैं। हालांकि 133 नए हॉट स्पॉट भी चिह्नित किए गए हैं। हॉट स्पॉट में 37 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसी तरह एक्सट्रीम हॉट स्पॉट में भी 9 फीसदी की कमी हुई है।


 पहले ये 64 थे, जो अब 58 बचे हैं। इधर, अजाक शाखा ने हॉट स्पॉट का दायरा बढ़ाया है। अब हॉट स्पॉट चिह्नित करने के लिए सात साल का समय निर्धारित किया है। इसके मुताबिक यदि सात साल में सात या इससे अधिक केस यानी औसतन हर साल एक केस दर्ज होता है तो उसे हॉट स्पॉट बनाया जाएगा।


ग्वालियर-चंबल सबसे अधिक हॉट स्पॉट
दलित उत्पीडऩ या कहें कि एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ अपराधों के मामलों में मप्र का ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड सबसे अधिक कुख्यात बना हुआ है। ग्वालियर में सबसे अधिक 69 हॉट स्पॉट हैं। इनमें से 13 एक्सट्रीम स्तर के हैं। ग्वालियर-चंबल के गुना, मुरैना हॉट स्पॉट की टॉप 10 की सूची में शामिल हैं। इधर, बुंदेलखंड का सागर इस सूची में तीसरे नंबर पर है। यहां 49 हॉट स्पॉट तो 11 एक्सट्रीम हॉट स्पॉट हैं। इसके अलावा छतरपुर, कटनी और दमोह भी अधिक हॉट स्पॉट की सूची में शामिल हैं। जबलपुर में 21 हॉट स्पॉट हैं। बता दें, पहले 46 जिलों में हॉट स्पॉट थे, जो अब 42 जिलों तक सीमित हो गए हैं। शहरी क्षेत्रों में 387 वार्डों में से 294 में तो 350 थाना क्षेत्रों में से 272 में हॉट स्पॉट रह गए हैं।

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हॉट स्पॉट कम होने से घटे अपराध
मप्र में वर्ष 2021 में 906 हॉट स्पॉट में प्रतिमाह औसतन 96 अपराध दर्ज किए जाते थे। अब हॉट स्पॉट पर अपराध का आंकड़ा 65 अपराध प्रतिमाह बचा है। पहले हॉट स्पॉट पर कुल एससी-एसटी के खिलाफ होने वाले अपराध कुल अपराधों का 14.7 फीसदी थे, जो अब कम होकर 9 फीसदी बचे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदेश में जातिगत भेदभाव के मामले बहुत अधिक नहीं हैं। हालांकि अन्य विवादों की वजह से एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है।


एसटी वर्ग के खिलाफ अपराधों में कमी
मप्र में वर्ष 2022 में एससी-एसटी वर्ग के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या 11380 थी। इस साल मई महीने तक कुल 4593 अपराध दर्ज हुए हैं, इनमें 0.9 फीसदी की बढोतरी हुई है। पहले ये औसतन 14 फीसदी की दर से बढ़ते थे। इस साल शुरुआती पांच महीने में अनुसूचित जनजाति वर्ग के खिलाफ अपराधों में 2.2 फीसदी की कमी हुई है, वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के खिलाफ अपराधों में 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।



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