- 36 के फेर में फंसी भाजपा, सरकार की कार्रवाई से ब्राह्मण हुए नाखुश

36 के फेर में फंसी भाजपा, सरकार की कार्रवाई से ब्राह्मण हुए नाखुश

मूत्र विसर्जन कांड ने भाजपा के साढ़े तीन साल की मेहनत पर फेरा पानी, भाजपा नेता की करतूत से आदिवासी नाराज, 
भोपाल, । मप्र में 200 से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाने का दम भर रही भाजपा और उसकी सरकार अपनों की करतूत में इस कदर फंस गई है कि उससे निकलना अब मुश्किल हो गया है। सीधी में आदिवासी युवक पर भाजपा कार्यकर्ता द्वारा मूत्र विसर्जन किए जाने के बाद से प्रदेश के 22 फीसदी आदिवासी रातों रात भाजपा के खिलाफ हो गए हैं। वहीं ब्राह्मण आरोपी पर एनएसए लगाकर जेल भेजे जाने से प्रदेश के 14 फीसदी ब्राह्मण भाजपा से नाराज हो गए हैं। 

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इस तरह सरकार बनाने की तैयारी में जुटी भाजपा 36 के आंकड़े में फंस गई है। मूत्र विसर्जन कांड के बाद पूरी भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। इसके तहत गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सीएम हाउस में पीडि़त आदिवासी युवक के पैर पखारने पड़े। इस दृश्य को जिसने भी देखा उसने शिवराज सिंह चौहान की सदाशयता की सराहना की, लेकिन जिस तरह इसका प्रदर्शन किया गया, उसे लोग पूरी तरह राजनीति मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चुनावी साल में अपनी बेलगाम कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का पाप धोने के लिए भाजपा ऐसे उपक्रम अभी और करती नजर आएगी।

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आदिवासियों के लिए कुछ भी करेंगे
चुनावी साल में मप्र में आदिवासी राजनीति का केंद्र बने हुए हैं। भाजपा और कांग्रेस सहित लगभग हर पार्टी की कोशिश है कि वे आदिवासी वोट बैंक को अपनी ओर कर ले। इसके लिए तरह-तरह के उपक्रम किए जा रहे हैं। वहीं पार्टियों का रूझान देखते हुए आदिवासी समाज भी अपना पत्ता नहीं खोल रहा है। हालांकि अगर भाजपा की बात करें तो मार्च 2020 में सत्ता में आने के बाद से ही भाजपा आदिवासियों को साधने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम करती आ रही है। आदिवासियों को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ पूरी भाजपा लगी हुई है। लेकिन कुछ-कुछ महीने के अंतराल पर भाजपाई कुछ न कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिससे उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है।
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पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि सीधी की घटना ने पूरे मध्य प्रदेश को देशभर में कलंकित किया है। मध्य प्रदेश में आदिवासी समाज सबसे अधिक है। उनके यह हालात है। पिछले कुछ महीनों से जिले-जिले से खबरें आ रही हैं। कहीं जिंदा गाड़ दिया गया, कहीं गाड़ी से घसीटा गया। सिर्फ 10 प्रतिशत घटनाएं ही सामने आती हैं। शिवराज सिंह जी कितनी भी नाटक-नौटंकी कर लें, और अपने 18 साल का पाप धोने का प्रयास कर लें, वह नहीं धुलेगा। उनकी सच्ची आत्मा होती तो कैमरा बुलाकर नहीं दिखाते। उनका मतलब कैमरे से था। कैमरे की नौटंकी उन्होंने 18 साल कर ली है। अब यह चलने वाली नहीं है। पत्नी को प्रलोभन दे रहे हैं। यह नाटक-नौटंकी है। यह सब अपना पाप साफ करने के लिए है। ये ही समिति बनाएंगे। कैमरे की नौटंकी करेंगे। फिर क्लीन चिट दे देंगे। शिवराज सिंह जी सोचते हैं कि आदिवासी समाज माफ कर देगा। वह परिचित है कि किस तरह की घटनाएं होती हैं। आदिवासी समाज इन्हें कभी माफ नहीं करेगा। कितने भी पैर धुलवा लें, कितने भी कैमरे सामने लगवा लें, जिनकी आत्मा और मन साफ होता है, वह कैमरे के सामने यह नहीं करते।

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एक गलती 80 सीट पर भारी
मप्र में आदिवासी बहुल सीटों को साधने के लिए भाजपा पिछले साढ़े तीन साल से अरबों रुपए बहा चुकी है। गौरतलब है कि प्रदेश में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित हैं, जबकि, 33 सीटों पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। गैर आरक्षित आदिवासी बहुल 33 सीटों में से 22 मालवा और निमाड़ में ही आती हैं। आदिवासी वर्ग का झुकाव जिस राजनीतिक दल की ओर रहता है, उसकी प्रदेश में सरकार बनती है। 2013 के चुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया तो उसकी सरकार बनी रही। वहीं, 2018 में आदिवासियों का साथ कांग्रेस को मिला और सुरक्षित सीटों में से 31 जीतकर कमलनाथ ने सरकार बनाई। भाजपा 2023 में आदिवासियों को साधने के लिए पूरी तरह जुटी हुई है, लेकिन सीधी में हुई एक गलती ने पार्टी के अरमानों पर पानी फेर दिया है।
 
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विंध्य की 30 सीटों पर भी बिगड़ेगा गणित
सीधी मूत्र विसर्जन कांड का असर जहां प्रदेश की आदिवासी सीटों पर पड़ेगा, वहीं भाजपा कार्यकर्ता के खिलाफ की गई कार्यवाही का असर विंध्य की 30 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा। इस इलाके के सतना और रीवा जिले की कुछ विधानसभा सीटों पर तो सिर्फ ब्राह्मणों की आबादी 40 प्रतिशत भी पार कर जाती है। बताया जाता है कि सरकार ने जिस तरह आनन-फानन में कार्यवाही की है, उससे क्षेत्र का ब्राह्मण समाज भाजपा से आक्रोशित हो गया है। इस घटनाक्रम का असर मध्य प्रदेश के किसी इलाके पर अगर सबसे ज्यादा देखा जा सकता है तो यही वो इलाका है जहां भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। गौरतलब है कि सरकार में प्रतिनिधित्व ना मिलने के कारण विंध्य क्षेत्र में पहले से ही भाजपा के खिलाफ नाराजगी है। ऐसे में यह कांड आग में घी का काम करेगा।
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