नई दिल्ली। आपातकाल के बाद जब चुनाव अधिसूचना जारी हुई। उसके तुरंत बाद लोकतंत्र को बचाने के लिए जनसंघ,भारतीय लोकदल, कांग्रेस (ओ) तथा समाजवादी पार्टी का विलय कर, जनता पार्टी का गठन किया गया था। इसमें चारों राजनीतिक दलों ने अपने झंडे -डंडे और चुनाव चिन्ह को समर्पित कर। जनता दल का गठन किया था। लोकतंत्र बचाने की इस नारे के साथ जनता पार्टी ने उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में,गुजरात एवं अन्य राज्यों की लोकसभा की सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले एक ही उम्मीदवार खड़ा किया था।
जिसके कारण कांग्रेस ई को पराजय का सामना, उत्तर भारत में करना पड़ा। पहली बार केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी। जनता पार्टी में 1977 में 4 राजनीतिक दलों ने अपना विलय कर दिया था। चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बने। बेंगलुरु में विपक्षी दलों के गठबंधन के लिए जो 26 राजनीतिक दल इकट्ठे हुए हैं। वह एक उम्मीदवार भाजपा के खिलाफ उतारने की तैयारी कर रहे हैं।
यह सभी 26 राजनीतिक दल लोकतंत्र बचाने के नाम पर लड़ रहे हैं। इसके लिए यह गठबंधन आगे बढ़ रहा है। 1977 में चारों राजनीतिक दलों ने अपना विलय जनता दल में कर लिया था। 2023 में सारे राजनीतिक दल मिलकर गठबंधन बनाकर एक उम्मीदवार उतारने की रणनीति लोकतंत्र बचाने के लिए आगे आ रहे हैं। 46 वर्ष पहले की घटना एक बार फिर होने जा रही है।
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