- अमेरिकी मिलिट्री नेटवर्क में चीन का वायरस

अमेरिकी मिलिट्री नेटवर्क में चीन का वायरस

अधिकारी बोला- ये टाइम बम जैसा; जंग के वक्त सेना के ऑपरेशन को ठप करेगा
वॉशिंगटन। बाइडेन सरकार अमेरिकी सेना के नेटवर्क में चीन के एक वायरस को ढूंढ रही है। सरकार को डर है कि चीन ने अमेरिका की सेना के पावर ग्रिड, कम्युनिकेशन सिस्टम और वाटर सप्लाई नेटवर्क में एक कम्प्यूटर कोड (वायरस) फिट कर दिया है। जो जंग के दौरान उनके ऑपरेशन को ठप कर सकता है।
अमेरिकन शोध शोध शोधतायत! मिलिट्री नेटवर्कमध्ये चिनी व्हायरस घुसला; व्हाईट  हाऊसमध्ये बैठकांवर बैठका - Marathi News | Americans are searching Chinese  virus penetrates ...
बाइडेन सरकार को डर है कि चीन का ये कोड न सिर्फ अमेरिका, बल्कि दुनियाभर में मौजूद उनके मिलिट्री बेस के नेटवर्क में हो सकता है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि मिलिट्री के नेटवर्क में चीन का कोड होना किसी टाइम बम के जैसा है। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ सेना के ऑपरेशन पर असर पड़ेगा, बल्कि उन घरों और व्यापार पर भी होगा जो सेना के इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हैं।

व्हाइट हाउस में बैठकों का दौर
जब से अमेरिकी मिलिट्री नेटवर्क में चीन के वायरस का पता चला है। तब से ही व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम में बैठकों का दौर जारी है। सेना के सीनियर अधिकारी, इंटेलिजेंस चीफ और नेशनल सिक्योरिटी ऑफिशियल्स इन बैठकों में शामिल हो रहे हैं। व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी किया था। हालांकि, उसमें चीन का जिक्र नहीं था। नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एडम होज ने कहा था- सरकार बिना रुके अमेरिका के अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर रेल, वॉटर सिस्टम, एविएशन को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।
अधिकारी बोला- ये टाइम बम जैसा; जंग के वक्त सेना के ऑपरेशन को ठप कर देगा |  US Military Network Vs China Cyber Threat; Joe Biden Govt | China US  Relation - Dainik Bhaskar
भारत भी चीन के निशाने पर
चीन पर साइबर अटैक करने के आरोप पहली बार नहीं लगा है। भारत में हुए साइबर अटैक को लेकर कई मौकों पर चीन पर सवाल खड़े हुए हैं। 2015 में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सूचना और प्रसारण मंत्री ने बताया था कि जिन देशों से भारत की साइबर सिक्योरिटी को खतरा है उनमें चीन पहले नंबर पर है। साइबर खतरों पर काम करने वाली एजेंसी साइफिरमा ने 24 जून 2020 की एक रिपोर्ट बताया था कि पिछले कई दिनों से भारत की साइबर सुरक्षा पर खतरा बढ़ है। चीन के हैकर ग्रुप्स भारत के बड़े संस्थानों को टारगेट कर रहे हैं। चीनी हैकर ग्रुप एटपी 10 ने भारत की कोरोना वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक पर साइबर हमला किया था।
US Army Chinese Virus: US Military Searching For Chinese Malware Which  Possibly Affect Military Communication During Operations- अमेरिकी सेना में  छिपा है चीन का भेजा अदृश्य दुश्मन खोजने में लगी ...
चीन में 1990 में पहली बार साइबर वॉरफेयर पर चर्चा शुरू हुई
चीन में साइबर वॉरफेयर की एकेडमिक चर्चा साल 1990 में शुरू हुई। उस समय इसे इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर कहा जाता था। अमेरिकी सेना ने खाड़ी युद्ध, कोसोवो, अफगानिस्तान और इराक में हाई टेक्नोलॉजीज के दम पर बड़ी सफलता हासिल की थी। इससे चीन की सेना काफी प्रभावित हुई। चीन ने उस वक्त यह महसूस किया कि युद्ध के रूपों में परिवर्तन किए बिना पर्याप्त रूप से अपना बचाव नहीं किया जा सकता। इसलिए युद्ध में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की भूमिका काफी अहम हो जाती है।
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US Army Chinese Virus: US Military Searching For Chinese Malware Which  Possibly Affect Military Communication During Operations- अमेरिकी सेना में  छिपा है चीन का भेजा अदृश्य दुश्मन खोजने में लगी ...
खाड़ी युद्ध के दो साल बाद 1993 में चीनी मिलिट्री स्ट्रैटजिक गाइडलाइन में मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जरिए स्थानीय युद्ध जीतने की बात कही गई, ताकि इसके अनुभव किसी दूसरे देशों के साथ होने वाले जंग के दौरान काम आ सकें। इराक युद्ध के एक साल बाद 2004 में चीनी मिलिट्री स्ट्रैटजिक गाइडलाइन में फिर बदलाव किया गया। अब इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर के तहत स्थानीय युद्ध को जीतने की बात कही गई। साल 2013 में पहली बार चीन की मिलिट्री ने साइबर वॉरफेयर को सार्वजनिक रूप से अपनी स्ट्रैटजी में शामिल किया। इसका पहला जिक्र चीन की द साइंस ऑफ मिलट्री स्ट्रैटजी में मिलता है।
US Army Chinese Virus: US Military Searching For Chinese Malware Which  Possibly Affect Military Communication During Operations- अमेरिकी सेना में  छिपा है चीन का भेजा अदृश्य दुश्मन खोजने में लगी ...

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