-चांद मिशन की सफलता के बाद सूर्य मिशन से उम्मीदें
नई दिल्ली। 10 दिन तक चांद से जुड़े रहस्य सुलझाने की कोशिशों के बाद आखिर हमारा प्रज्ञान रोवर गहरी नींद में सो गया। चांद पर अब एक लंबी रात है और माइनस 200 के तापमान में प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर का काम करना मुमकिन नहीं है, लेकिन स्लीप मोड में जाने से पहलेरोवर और लैंडर ने कई ऐसी जानकारियां हमें दे दी हैं, जिनसे मानवता का भला हो सकता है।14 जुलाई को भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च किया था। 40 दिन का सफर पूरा करने के बाद 23 अगस्त को चंद्रयान चांद के साउथ पोल पर उतरा और भारत एक झटके में उन विकसित देशों की कतार में शुमार हो गया, जिन्होंने चांद पर अपने मिशन उतारने में कामयाबी हासिल की थी।
100 मीटर की दूरी पर खड़े हैं लैंडर-रोवर
10 दिन तक सटीक तरीके से जानकारी जुटाने के बाद प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसे अब चांद के साउथ पोल पर सुरक्षित तरीके से पार्क कर दिया गया है, या यूं कहें कि अब ये चांद पर चैन की नींद सोएगा। इसको स्लीप मोड में सेट किया गया है। शिवशक्ति प्वाइंट पर रोवर और लैंडर दोनों के बीच 100 मीटर का फासला है। प्रज्ञान रोवर पर लगे दोनों पेलोड एपीएक्सएस और एलआईबीएस बंद कर दिए गए हैं। इन पेलोड ने जो डाटा जमा किया था, वो लैंडर के जरिए हम तक पहुंच गया है।
22 सितंबर को चांद पर फिर होगा सूर्योदय
हालांकि इसकी बैटरी अब भी पूरी तरह चार्ज है। ये भी मुमकिन है कि एक बार फिर ये अपना काम करना शुरू कर दे, ऐसा इसलिए क्योंकि रोवर को इस एंगल पर रखा गया है कि 22 सितंबर को जब चांद पर सूर्योदय हो तो सूरज की किरणें इसके सौर पैनलों पर पड़ें। ऐसा हुआ तो ये फिर काम कर सकता है। सूरज की रोशनी से हमारे रोवर और लैंडर पावर जनरेट कर सकते हैं, जो इनके उपकरणों के लिए जरूरी है। पावर के बिना इनमें लगे वैज्ञानिक उपकरण खराब हो सकते है।
लैंडर और रोवर पर लगे उपकरण फ्रीज हो सकते हैं
चांद पर फिलहाल रात है, जो धरती के 14 दिन के बराबर होगी। यहां पारा माइनस 200 डिग्री तक जा सकता है। इससे लैंडर और रोवर पर लगे उपकरण फ्रीज हो सकते हैं। जब चांद पर सूर्योदय होगा तो हो सकता है कि रोवर और लैंडर फिर से जाग जाएं, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो चांद पर ये हमेशा के लिए भारत के खूबसूरत हस्ताक्षर के रूप में मौजूद रहेंगे।
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चांद मिशन की सफलता के बाद सूर्य मिशन से उम्मीदें
एक ओर जहां भारत का चंद्रयान मिशन पूरा हुआ। वहीं भारत का एक और ऐसा मिशन शुरू हो गया, जिसको दुनिया ने हैरत के साथ देखा। भारत का आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट सूर्य और पृथ्वी के बीच मौजूद एल1 पॉइंट के 125 दिन के लंबे सफर के लिए निकल पड़ा है। अब तक का आदित्य-एल1 का सफर पूरी तरह सटीक है। भारत का आदित्य-एल1 स्थिर होकर सूरज का हर राज जानेगा और धरती को बताएगा। आदित्य एल वन 15 लाख किलोमीटर के फासले पर उस प्वाइंट पर जाकर स्थिर हो जाएगा, जहां सूरज और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस है यानी ना इसको सूरज अपनी ओर खींच पाएगा और ना धरती। इसी को एल1 प्वाइंट कहा जाता है।