नई दिल्ली । कुछ दिनों से बीमार चल रहे एसपीजी के डायरेक्टर अरुण कुमार सिन्हा का आज निधन हो गया। श्री सिन्हा ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें लिवर में दिक्कत के चलते 4 सितंबर को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां बुधवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। सिन्हा ने अपनी पढ़ाई झारखंड से की थी।
वे केरल पुलिस में कई अहम पदों पर रहे। उन्होंने डीसीपी, कमिश्नर, रेंज आईजी, इंटेलिजेंस आईजी और एडमिनिस्ट्रेशन आईजी जैसे पद संभाले। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी।इसके बाद 1988 में संसद में एसपीजी एक्ट पारित किया गया और एसपीजी का गठन हुआ। उस समय भी मौजूदा प्रधानमंत्री को ही सुरक्षा देने का प्रावधान था। पूर्व प्रधानमंत्रियों को नहीं। यही वजह थी कि 1989 में वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गांधी का एसपीजी कवर हटा दिया था। 1991 में राजीव गांधी की भी हत्या हो गई।
इसके बाद एसपीजी कानून में संशोधन हुआ। प्रावधान किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को पद से हटने के 10 साल बाद तक एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2003 में इस कानून में फिर संशोधन किया। संशोधित कानून के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री को पद छोड़ने के एक साल बाद तक ही एसपीजी कवर मिलेगा। लेकिन मोदी सरकार ने एसपीजी एक्ट में संशोधन कर दिया था। इसके बाद ये सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को ही मिलती है। बता दें कि अरुण कुमार सिन्हा 1988 के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। एसपीजीदेश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है। उन्हें हाल ही में एक साल का विस्तार दिया गया था। अरुण कुमार सिन्हा 2016 से एसपीजी चीफ के पद पर तैनात थे।
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