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जी20 बाइडन को बताया प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय भग्नावशेष का महत्व
नई दिल्ली । जी20 की बैठक में शामिल होने आए तमाम देशों के प्रमुख का भारत में जबरदस्त स्वागत किया गया। यह समिट दिल्ली में भारत मंडपम में आयोजित हो रही है। जी20 की बैठक में हिस्सा लेने आए 20 देशों के मेहमानों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को डिनर का आयोजन किया था। इसमे प्रधानमंत्री मोदी ने सभी का स्वागत किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मेहमानों को भारत के सांस्कृतिक महत्व और विरासत से रूबरू कराया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को इस विश्वविद्यालय की खासियत, इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिस जगह पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी लोगों का स्वागत कर रहे थे वहां पीछे बिहार मे स्थित नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीर लगी है। नालंदा विश्वविद्याल के बारे में पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को जानकारी और उन्हें बताया कि यह भारत का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है जोकि कई सदियों तक अस्तित्व में रहा। नालंदा विश्वविद्यालय की बात करें तो यह 5वीं से 12वीं शताब्दी तक अस्तित्व में था और यह महात्मा बुद्ध और महावीर के समय से चला रहा है। इस विश्वविद्यालय के जरिए भारत की प्राचीन विरासत की झलक मिलती है,
साथ ही यह विश्वविद्यालय यह भी दर्शाता है कि भारत उस समय भी कितना विकसित था। नालंदा विश्वविद्यालय की बात करें तो यहां पर दुनियाभर के छात्र पढ़ने के लिए आते थे। इसमे तकरीबन 10 हजार छात्र पढ़ते थे। यहा पर कोरिया, जापान, चीन, इंडोनेशिया, तिब्बत से पढ़ने के लिए छात्र आते थे। यहां पर तकरीबन 2 हजार शिक्षक थे। इसे गुप्त शासन कुमारगुप्त प्रथम ने स्थापित किया था। इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी। नालंदा विश्वविद्यालय की बात करें तो यहां पर दुनियाभर के छात्र पढ़ने के लिए आते थे। इसमे तकरीबन 10 हजार छात्र पढ़ते थे। यहा पर कोरिया, जापान, चीन, इंडोनेशिया, तिब्बत से पढ़ने के लिए छात्र आते थे। यहां पर तकरीबन 2 हजार शिक्षक थे। इसे गुप्त शासन कुमारगुप्त प्रथम ने स्थापित किया था। इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी।
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