नई दिल्ली । तकनीक के विकास के साथ जहां हमारी सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं धोखाधड़ी करने वालों के लिए भी नए-नए रास्ते खुल रहे हैं। इस कड़ी में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) साइबर ठगों का नया हथियार बन गया है। देशभर से एआई से ठगी के मामले सामने आने लगे हैं। अधिकारियों की मुताबिक फिलहाल यहां अब तक एआई से ठगी के पांच ही मामले सामने आए हैं। एआई से ठगी के दौरान साइबर ठग विशेष तरह के सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन (डीपफेक व अन्य) की मदद से आवाज और चेहरे की कॉपी कर लेते हैं। बाद में रिश्तेदारों व करीबियों से इमरजेंसी होने की बात कर रुपये मांग जाते हैं।
सब कुछ इतना असली होता है कि कोई भी आसानी से इनके जाल में फंस जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सतर्कता से इस तरह की जालसाजी से बचा जा सकता है। आंख मूंदकर किसी को भी पैसे ट्रांसफर नहीं करना चाहिए। कॉल कर मदद मांगने वाले को क्रॉस चेक करने के बाद ही रुपये ट्रांसफर करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि एआई की मदद से ठगी करने वाले साइबर ठग आपके दोस्त, रिश्तेदार या करीबियों के नंबर का प्रयोग कॉल करते समय नहीं कर सकते हैं।
ऐसे में जब भी आपके पास किसी अनजान नंबर से करीबी का कॉल आए तो सतर्क हो जाएं। कॉलर से पुराने नंबर से कॉल करने के लिए कहें। एक निजी संस्था ने एआई को लेकर ठगी के मामलों का अंतरराष्ट्रीय सर्वे किया। चार हजार लोगों पर यह सर्वे हुआ। इसमें पाया गया कि 85 फीसदी लोग ठगी शिकार हो गए। इनमें 2000 लोगों से मोटी रकम वसूली गई, जबकि 46 फीसदी मामलों माता-पिता बनकर, 34 फीसदी मामलों में पत्नी और 20 फीसदी मामलों में बच्चे बनकर पीड़ितों को कॉल कर रकम वसूली गई।
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