-इस चुनाव में बसपा को होगा भारी नुकसान
भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव 19 नवंबर को होने जा रहे हैं। इस चुनाव में मतदाताओं का जो रुझान देखने को मिल रहा है।उसको देखते हुए कहा जा सकता है, कि इस बार के चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों को इस बार ज्यादा नुकसान होने की संभावना बताई जा रही है। पिछले कई महीनो से कांग्रेस और भाजपा के बीच जिस तरीके से मुकाबला हो रहा है। उससे 2003 के विधानसभा चुनाव जैसी स्थिति देखने को मिल रही है।
इस बार नॉन कमिटेड वोटर
हवा के साथ उम्मीदवार को देखते हुए बहेगा।भाजपा और कांग्रेस ने जो घोषणाएं की है।उनका मतदाताओं के ऊपर बड़ा प्रभाव पड़ा है। दलित मतदाता भी इस बार बसपा को छोड़कर, जीतने वाले उम्मीदवार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में 2023 के विधानसभा चुनाव में सबसे कमजोर स्थिति में बसपा को माना जा रहा है। क्षेत्रीय दलों को लेकर भी मतदाताओं में कोई बात नहीं हो रही है। जो भी माहौल मतदाताओं के बीच में बन रहा है, वह भाजपा और कांग्रेस के पक्ष में ही देखने को मिल रहा है।
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चंबल और विन्ध्य के परिणाम चौंकाएंगे
पिछले चार चुनाव में ग्वालियर एवं चंबल संभाग में बहुजन समाज पार्टी की उपस्थिति काफी महत्वपूर्ण होती रही है। यहां जीत हार तय करने का काम बसपा करती थी। बसपा को यहां वोट कटवा पार्टी के रूप में भी जाना जाता है। बसपा अपनी सीट कम जीतती है, कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों को हराने में बसपा के उम्मीदवारों की बड़ी भूमिका रहती है। श्योपुर, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी, विंध्य प्रदेश के सतना, रीवा, सीधी जिले की लगभग तीन दर्जन सीटों को बसपा प्रभावित करती है। इस बार इन सीटों में बसपा को लेकर वह प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है जो पिछले चुनाव में मतदाताओं का रुझान बसपा के पक्ष में दिखता था। इस बार मतदाताओं का रुझान कांग्रेस और भाजपा के पक्ष में है।जिसके कारण भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच में इस बार कड़ा मुकाबला होगा। चंबल एवं ग्वालियर संभाग के साथ-साथ विंध्य प्रदेश के चुनाव परिणाम इस बार सभी के लिए चौंकाने वाले साबित होंगे।