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जारांगे-पाटिल ने खाई कसम, मराठा आरक्षण लेकर ही रहेगे
-महाराष्ट्र सरकार को परिणाम भुगतने की दी चेतावनी, पानी पीना भी छोड़ा
जालना । मराठा आरक्षण मुद्दे पर शिवबा संगठन के अध्यक्ष मनोज जारांगे-पाटिल ने अपना रुख और सख्त कर लिया है। उन्होंने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के आठवें दिन बुधवार को फिर से पानी पीना छोड़ दिया और चेतावनी दी कि सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे।
हालांकि बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण समर्थकों की अपील पर वह सोमवार से पानी पीने लगे थे। मिली जानकारी के अनुसर वह एक मंच पर अपने गद्दे पर लेटे हुए मीडिया से बात करते हुए कमजोर दिख रहे हैं। जारांगे-पाटिल ने कसम खाई कि वह तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक कुनबी जाति के तहत मराठा समुदाय को पूर्ण आरक्षण नहीं दिया जाता। जिसके लिए वह 29 अगस्त से ही आंदोलन कर रहे हैं। सैकड़ों चिंतित ग्रामीणों और उनकी टीम से घिरे जारांगे-पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग सरकार की देरी की रणनीति से सख्त नाराज हैं। दस्तावेजी सबूत उपलब्ध हैं, फिर भी हमें आरक्षण से वंचित किया जा रहा है।
बुधवार शाम को उन्होंने कहा कि मराठों की मांगें पूरी करने के लिए और मोहलत मांगकर महाराष्ट्र सरकार समय बर्बाद करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार को अपने कृत्यों का परिणाम भुगतना होगा। बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उन्होंने अंतरावली-सरती गांव और आसपास के गांव के लोगों की अपील के आगे झुकते हुए उन्होंने सोमवार को पानी पीना शुरू कर दिया था। एक दिन बाद उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के 12वें प्रत्यक्ष वंशज-छत्रपति श्रीमंत शाहू महाराज से एक गिलास पानी भी स्वीकार किया - लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि 1 नवंबर से पहले मराठा कोटा की घोषणा नहीं की गई, तो वह फिर से पानी छोड़ देंगे। यही वजह रही कि एन्होंने आज से फिर पानी पीना छोड़ दिया है।
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