नई दिल्ली । उत्तराखण्ड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों की युद्धस्तर बचाव अभियान के छठवें दिन तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ रहा है। ऑपरेशन सिलक्यारा को लेकर अब न केवल परिजन बल्कि कांग्रेस ने पूरे मामले में बड़ी लापरवाही का आरोप लगाया है। अब तक चलाये गये त्रिस्तरीय योजना के पहले चरण में जेसीबी की मदद से मलबा हटाते समय ऊपर से गिरे ताजा मलबा से प्रयास विफल रहा ।
दूसरे चरण में अत्याधुनिक ऑगर ड्रिल मशीन से मलबे के बीच से स्टील के पाइप डालने के दौरान दो मीटर तक ही ड्रिल करने में सक्षम मशीन के बीच चट्टान आने के बाद अभियान विफल रहा। तीसरे चरण में तीन हरक्यूलिस विमानों से आये अमेरिकन ड्रिल मशीन द्वारा करीब 70 मीटर बंद टनल में से 12 मीटर तक ही ड्रिल हो पाई थी।विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई बड़ी रुकावट न आई तो इसमे करीब तीन दिन और लगेंगे। ।इसके बाद अगले चरण में पाइप रूफ अंब्रैला तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके तहत स्टील पाइप को सरियों से कवर करते हुए टनल के भीतर ड्रिल से पहुंचाया जाता है। यह अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित तकनीकी मानी जाती है। हालांकि इसे पूरा करने के लिए भी पांच से छह दिन का समय लगता है।