1986 में जब यह अंटार्कटिका से अलग हुआ तो इस पर एक सोवियत संघ का अनुसंधान केंद्र था, लेकिन ग्लेशियर ए23ए अंटार्कटिका से अलग होने के बाद वेडेल सागर में ‘समा’ गया था, लेकिन 40 साल तक अपनी जगह पर रहने के बाद यह फिर से आगे की ओर बढ़ने लगा है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ डॉ एंड्रयू फ्लेमिंग ने बताया, ‘मैंने अपने कुछ सहकर्मियों से ग्लेशियर ए23ए आए बदलाव के बारे में पूछा था। मुझे लगा कि क्या शेल्फ़ के पानी के तापमान में कोई संभावित बदलाव था, जिसने इसे बहाव उकसाया होगा।’ इसने साल 1986 में टूटने के बाद किसी प्राकार की गतिविधि करना बंद कर दिया था।
धीरे-धीरे इसका आकार (आकार में) इतना कम हो गया कि इसकी पकड़ ढीली हो गई और यह फिर से हिलना शुरू कर दिया था। 2020 में पहली बार इसमें हलचल दिखाई दी थी। हाल के महीनों में हवाओं और धाराओं के कारण ए23ए की गति तेज़ हो गई है। ऐसी भविष्यवाणी की जा रही है कि यह अटलांटिक महासागर के दक्षिणी भाग में दक्षिण जॉर्जिया नामक द्वीप को डूबा देगा। यह द्वीप लाखों सील, पेंगुइन और अन्य पक्षियों का घर है।