नई दिल्ली । दिल्ली एनसीआर में पिछले दो दोनों से हो रही बारिश ने मौसम को तो ठंडा कर दिया, लेकिन पारली की आग को शांत नहीं कर पाई। दो दिन की बारिश के बाद भी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की समस्या बरकरार है। बारिश के बाद अब धीरे-धीरे ठंड भी बढ़ने लगी है। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर वालों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ प्रदूषण और दूसरी तरफ ठंड के तेवर से लोग परेशान होने लगे हैं। दिल्ली के साथ साथ एनसीआर के भी कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में शामिल हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को सुबह वायु गुणवत्ता का स्तर 350 के पार चला गया है। आनंद विहार में एक्यूआई 320, आरके पुरम में 410, पंजाबी बाग में 444 और आईटीओ में 422 रहा।
मौसम विभाग के अनुसार, बुधवार को भी दिल्ली के कुछ इलाकों में हल्की बारिश होने की संभानवा है। इस साल नवंबर में 13 साल के दौरान सर्वाधिक वर्षा दर्ज की गई है, बावजूद इसके राजधानी को एक भी दिन साफ हवा नहीं मिल पाई है। मंगलवार तक माह के 28 दिनों के दौरान हर रोज ही एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) खराब, बहुत खराब, गंभीर एवं अत्यंत गंभीर श्रेणी में रहा है। 2015 से लेकर 2023 तक नौ साल में यह माह दूसरा सबसे प्रदूषित रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक नवंबर की वर्षा ने पिछले बारह साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में इस माह अभी तक 17.3 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह सामान्य से 188 प्रतिशत ज्यादा है। नवंबर में सामान्य तौर पर 6.0 मिमी वर्षा होती है।
इससे पूर्व नवंबर 2010 में 26 मिमी वर्षा हुई थी। फिर 2011 से लेकर 2023 तक इस बार सर्वाधिक वर्षा दर्ज की गई है। नवंबर महीने में दिल्ली को आसपास के राज्यों में पराली जलाने के कारण लंबी दूरी की धूल और घुसपैठ कार्बन की समस्या का सामना करना पड़ता है। 2015 से 2023 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि नवंबर के दौरान वर्षा के साथ-साथ हवा की रफ्तार भी बहुत मायने रखती है। लेकिन पश्चिमी विक्षोभों के अभाव में माह के ज्यादातर दिन शुष्क रहे। वर्षा ने रिकार्ड तोड़ा जरूर लेकिन गिनती के दिनों में। ऐसे में नियामक एजेंसियों द्वारा स्थानीय उत्सर्जन भार में मात्रात्मक कमी का प्रदर्शन किया जाना आवश्यक है।