- शहरी भारत की नौकरियों में कम होती जारी महिलाओं की हिस्सेदारी

शहरी भारत की नौकरियों में कम होती जारी महिलाओं की हिस्सेदारी

  • - ‎‎वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में टूटे छह साल के रिकॉर्ड


  • नई दिल्ली। भारत के शहरी इलाकों में ‎निय‎मित वेतन पर काम करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी कम होती जा रही है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के लेटेस्ट तिमाही डेटा की एनालिसिस से पता चलता है कि वित्त वर्ष 24 की सितंबर तिमाही में नौकरियों को लेकर महिलाओं की हिस्सेदारी नए निचले स्तर पर पहुंच गई। इसकी मुख्य वजह यह भी है कि कंपनियां अब अपने कर्मचारियों को ऑफिस बुला रही हैं। पीएलएफएस डेटा की एनालिसिस से पता चला है कि नौकरियों पर काम करने वाली कुल महिलाओं में ‎निय‎मित वेतन पर काम करने वाली महिलाओं की संख्या वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में घटकर 52.8 फीसदी हो गई है, जबकि वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में यह 54 प्रतिशत थी। 

Only 7% of urban women in India have jobs, even fewer job opportunities  after unemployment 20 February 2021 | भारत में केवल 7 फीसदी शहरी महिलाओं के  पास नौकरियां, बेरोजगारी के बाद

जब से राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में तिमाही के आधार पर पीएलएफएस सर्वे जारी करना शुरू किया है, यह पिछले छह सालों में किसी भी तिमाही में वेतन रोजगार में महिलाओं की सबसे कम हिस्सेदारी है। वित्तीय वर्ष 2011 की पहली तिमाही में मजदूरी के काम में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 61.2 प्रतिशत थी। सर्वेक्षण से पता चला है कि स्व-रोजगार महिलाओं की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 39.2 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 40.3 प्रतिशत हो गई, जबकि आकस्मिक श्रमिकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही 6.8 प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में मामूली बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गई। 

ये भी जानिए..................

Only 7% of urban women in India have jobs, even fewer job opportunities  after unemployment 20 February 2021 | भारत में केवल 7 फीसदी शहरी महिलाओं के  पास नौकरियां, बेरोजगारी के बाद

- टाटा मोटर्स के कमर्शियल वाहनों की बढ़ेगी कीमत

नियमित वेतन या सैलरी वाले कामों में, श्रमिकों को नियमित रूप से फिक्स्ड वेतन मिलता है और आम तौर पर इसे एक कैजुअल वर्कर के रूप में काम करने या स्व-रोजगार के मुकाबले एक बेहतर रोजगार माना जाता है क्योंकि कैजुअल वर्कर या स्व-रोजगार में उन लोगों की भी गिनती कर ली जाती है जो कृषि क्षेत्रों में अवैतनिक घरेलू मदद के रूप में काम कर रहे हैं या एक छोटा सा उद्यम चला रहे हैं।


Only 7% of urban women in India have jobs, even fewer job opportunities  after unemployment 20 February 2021 | भारत में केवल 7 फीसदी शहरी महिलाओं के  पास नौकरियां, बेरोजगारी के बाद

Comments About This News :

खबरें और भी हैं...!

वीडियो

देश

इंफ़ोग्राफ़िक

दुनिया

Tag