जयपुर। देश में कई नेता ऐसे हैं जो 8 से 10 बार के विधायक रहे हैं पर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाए हैं। लेकिन राजस्थान में भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने और सीधे सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए। इसके पीछे उनकी महनत और सेवाभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। भाजपा अध्यक्ष बनने से पहले जेपी नड्डा जब गोवर्धन परिक्रमा के लिए भरतपुर आते थे तो शर्मा उनके साथ रहते थे। शर्मा उस समय जिलाध्यक्ष थे।
उस समय से ही उनके करीबी बने हुए हैं। संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम जब सह प्रांत प्रचारक थे तो उनका केंद्र भरतपुर था। उस समय से निंबाराम से उनके निकट संबंध हैं। शर्मा को संगठन से आगे बढ़ने का अवसर मिला। उनकी प्रतिभा को देखते हुए लाहोटी का टिकट काटकर भजनलाल शर्मा को प्रत्याशी बनाने की प्रारंभिक कसरत निंबाराम के स्तर पर ही हुई थी। जब पार्टी के दिग्गज नेताओं के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के लिए नए चेहरे की तलाश कर रहा था तो निंबाराम ने शर्मा का नाम सबसे आगे आया।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से निकटता ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को प्रदेश की सत्ता के शिखर पर पहुंचा दिया। शर्मा भाजपा और संघ दिग्गज प्रचारकों के प्रिय थे। शर्मा ने कई प्रदेशाध्यक्षों के साथ प्रदेश महामंत्री के रूप में काम किया जिससे शीर्ष नेतृत्व से लेकर संगठन के निचले स्तर तक उनके संबंध मजबूत हो गए। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ ही संघ से निकटता ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को प्रदेश की सत्ता के शिखर पर पहुंचा दिया। उनकी तरक्की में उनकी संगठनात्मक क्षमता, पार्टी के प्रति निष्ठा व कड़ी मेहनत भी बड़ा कारण बना है।
इस कारण ही वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निकट और संघ की पसंद थे। शर्मा की पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से निकटता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी तय करते समय जब दिल्ली में केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष, प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी व पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सहित करीब एक दर्जन वरिष्ठ नेता बैठक कर रहे थे तो प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने जैसे ही शर्मा को सांगानेर सीट से टिकट देने का प्रस्ताव किया तो सभी राष्ट्रीय नेताओं ने कहा कि ये पार्टी के कर्मठ व मेहनती कार्यकर्ता हैं, इनका नाम तय करो।