नई दिल्ली । हौसला, लगन, मेहनत और खुद पर भरोसा हो तो कोई भी कठिनाई लक्ष्य को हासिल करने से रोक नहीं सकती। हरियाणा के रोहतक जिले के गांव रुड़की में रहने वाली ज्योति गुलिया के जीवन में कई कठिनाइयों ने दस्तक दी,लेकिन उसके हौंसले को पराजित नहीं कर पाई। ज्योति ने बताया कि 10 साल पहले जब उन्होंने बाक्सिंग खेलना शुरू किया था तब उनके पिता और भाई ने उनके खेलने पर पाबंदी लगा दी थी। उनका कहना था कि लड़कियों का काम घर में चूल्हा चौका करने का है न की बाक्सिंग के पंच मारने का है। पिता की बातें सुनकर उनके सपने टूट चुके थे,
लेकिन मां के हौंसले ने उनमें ऊर्जा का संचार कर दिया था। जब पूरे परिवार ने उनका साथ नहीं दिया तब मां ने सबसे बैर लेकर उन्हें रिंग में जाने की अनुमति दी। जब पिता और भाई घर में नहीं होते तब मां खेलने के लिए भेज देती। पिता के आने से पहले वह घर में अभ्यास करके वापस आ जाती। कुछ दिनों बाद जब राज्य स्तरीय खेलने के गई और वहां स्वर्ण पदक जीत कर आई तब भी पिता खुश नहीं हुए, लेकिन मां के चहेरे पर खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने बताया कि यदि उनका साथ मां ने नहीं दिया होता तो भारतीय रेलवे की तरफ से राष्ट्रीय महिला बाक्सिंग में नहीं खेल रही होती।
ज्योति ने बताया कि वह पहली यूथ खिलाड़ी थी,जिसने 2018 में यूथ ओलंपिक चैंपियनशिप में भाग लिया था। इसके साथ ही यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप 2017 में स्वर्ण पदक जीता,लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली राशि उन्हें आधी ही मिली। कई बार प्रयास करने के बाद भी उन्हें निराशा ही लगी। कई बार अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप खेलने के लिए गई। वहां भी देश के लिए कई पदक जीते। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी कई प्रतियोगिता जीत चुकी है। जीबीयू में चल रही बाक्सिंग प्रतियोगिता में उन्होंने अब तक तेंलगाना और राजस्थान की खिलाड़ियों को हरा कर उन्होंने क्वाटर फाइनल में जगह बना ली है।