नई दिल्ली । राजौरी-पुंछ के इलाके में आतंकी भारतीय सेना पर घात लगाकर हमला कर रहे हैं। इस साल आतंकियों ने तीन बार घात लगाकर हमला किया हैं। 21 दिसंबर को हुए हमले में सेना ने 4 सैनिकों को खो दिया है। इसी साल इससे पहले आतंकी पुंछ और राजौरी एरिया में दो बार घात लगाकर हमला कर चुके हैं जिसमें 10 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। अक्टूबर 2021 में यहीं के जंगल वाले इलाके में दो अलग-अलग आतंकी हमले में 9 सैनिक को वीरगति प्राप्त हुई।
20 साल से इस इलाके को लगभग शांत माना जाता रहा, लेकिन लगातार हो रहे हमले से अब जानकारों का कहना है कि सेना को अपनी रणनीति में बदलाव की जरूरत है। भारतीय सेना से डीजी इन्फ्रेंट्री के पद से रिटायर हुए लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि कहीं न कहीं तो रणनीति में कुछ कमी है। रणनीति में बदलाव की जरूरत है। इस सोच से भी निकलने की जरूरत है कि 20 साल से कुछ नहीं हुआ और यहां के सारे लोग हमारे साथ हैं। जिस तरह घात लगाकर हमले हो रहे हैं उससे यह तो साफ है कि स्थानीय लोगों से भी आतंकियों को मदद मिल रही है।
उन्होंने कहा कि विलेज डिफेंस कमिटी भी जरूरी है और उन्हें हथियार भी दिए जाने चाहिए। जिससे वह अपनी रक्षा भी कर सकें और अगर कोई हरकत देखकर हवा में भी गोली चलाई तो उस आवाज से आर्मी की पोस्ट पर लोग सतर्क तो हो जाएंगे। सेना के कई रिटायर्ड अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने कहा कि लोगों का दिल जीतना जरूरी है, साथ ही शक करना भी नहीं छोड़ना है। आतंकियों को पहुंचने वाली मदद पर भी नजर रखनी जरूरी है। साथ ही यहां सैनिकों की संख्या भी बढ़ानी होगी।
लेफ्टिनेंट जनरल कुलकर्णी ने बताया कि जिस तरह हिल काका में ऑपरेशन सर्प विनाश किया था, यहां से आतंकियों के सफाए के लिए वैसे ही ऑपरेशन की जरूरत है। हालांकि, यह इलाका हिल काका से अलग भी है। यहां ज्यादा घने जंगल हैं, गुफाएं हैं। बता दें कि राजौरी के सूरनकोट के पास पीर पंजाल की पहाड़ियों में हिल काका का इलाका साल 2000 के आसपास आतंकियों का गढ़ बन गया था। हिल काका में गुर्जर-बकरवाल रहते हैं। हिल काका में आतंकियों का कहर इस कदर हो गया कि वहां रहना ही मुश्किल हो गया था। वे जबरन लड़कों को उठा कर ले जाते थे। उनसे तंग आकर कई लोग बाहर चले गए।