जयपुर। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का कांग्रेस प्रभारी महासचिव बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि मैं थां सू दूर कोनी। अर्थात हम सब लोग यहां लंबे समय से मिलकर काम करते आए हैं। यह हमारी कर्म भूमि रही है। जब तक राजनीति में काम करेंगे तो राजस्थान के लोगों की सेवा करते रहेंगे। बुधवार को श्रीगंगानगर के डूंगरगढ़ में पहली बार मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने पूर्व सीएम अशोक गहलोत की शैली में जवाब दिया। बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले अशोक गहलोत ने संगठन महामंत्री बनाया गया था। तब कहा जा रहा था
कि गहलोत अब दिल्ली में ही काम करेंगे। तब उन्होंने कहा था कि मैं थांसू दूर नहीं।पायलट ने कहा कि पार्टी में अलग अलग नेताओं को समय समय पर अलग अलग जिम्मेदारियां दी जाती रही हैं। जिस तरह से पहले भी केंद्र में जिम्मेदारी दी गई थी जब वे सांसद रहे और केंद्रीय मंत्री भी बने। बाद में राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई थी। अब पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव के नाते बड़ी जिम्मेदारी दी है। इस जिम्मेदारी को भी वे पूरी ईमानदारी से निभाएंगे।
बड़ी संख्या में सदन से सांसदों के निलंबन पर सचिन पायलट ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। आजादी के बाद कभी ऐसा नहीं हुआ जब इतनी बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबन किया गया हो,यह लोकतंत्र की हत्या के समान है। पायलट ने कहा कि कोई भी सरकार हो, चाहे उसे कितना ही बहुमत मिले लेकिन अहंकार नहीं होना चाहिए। वर्तमान में केंद्र सरकार इस विकार का शिकार होकर विपक्ष की बात नहीं सुन रही है। सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने बेहतरीन काम कर जनता को अच्छी योजनाएं दी। इसके बावजूद भी विधानसभा चुनाव में हार मिलना चिंता की बात है।
सचिन पायलट से पूछा गया कि क्या पिछले चार पांच साल तक राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच चले सियासी झगड़े के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ। इसका जवाब देते हुए पायलट ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं रहने के कारण यह आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक बड़ा परिवार है। छोटी छोटी बातें होती रहती है लेकिन विधानसभा चुनाव हम सबने मिलकर लड़ा। किसी भी नेताओं के बीच कोई झगड़ा नहीं है।पायलट ने कहा कि राजस्थान में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल गया। इसके बावजूद भी 25 दिन बाद तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। अक्टूबर में जब प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लगी थी। तब से जनता के काम अटके हुए हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का गठन नहीं किए जाने के पीछे कोई बड़ा कारण नजर नहीं आ रहा। फिर भी भाजपा मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर रही है।