- नीतीश की पलटूराम छवि के भरोसे एनडीए को बिहार में चमत्कार की उम्मीद

नीतीश की पलटूराम छवि के भरोसे एनडीए को बिहार में चमत्कार की उम्मीद


लालू और नीतिश साथ लड़े तब होगा नुकसान 


पटना। लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से बिहार एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। बात दें कि मुख्यमंत्री नीतीश जिसके भी साथ जाएंगे, उसकी बिहार में बल्ले-बल्ले हो जाएगी। वर्तमान में, नीतिश इंडिया गठबंधन के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। इस कारण भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 2024 के लोकसभा चुनाव तक आराम नहीं कर सकता है, क्योंकि इंडिया के नेताओं की केवल एक ही योजना है कि तीन राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड से एनडीए की 40 से 50 सीटें कम की जाएं।

Analysis: नीतीश कुमार को अपने पाले में क्यों लाना चाहते हैं NDA नेता, बिहार  में कहीं कोई खेल तो नहीं होने वाला? - nitish kumar stay in opposition is  not embraced by

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 18, बिहार में 17 और झारखंड में 12 सीटें जीतीं। बंगाल में टीएमसी बीजेपी का पुरजोर विरोध कर रही है। झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली जेएमएम और कांग्रेस बीजेपी से लड़ रही हैं। लेकिन,बिहार में नीतीश के पलटूराम ट्रैक रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर बीजेपी को अभी भी उम्मीदें हैं।

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भाजपा को पता है कि अगर राजद नेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार बिहार में एक साथ चुनाव लड़ते हैं, तब दलित, महादलित, मुस्लिम, ओबीसी और ईबीसी वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा उनके साथ जाएगा और वे आसानी से मुकाबला जीत सकते हैं। भाजपा को केवल ऊंची जातियां और व्यापारी समुदाय के वोट मिलेन हैं और यह उसके लिए पर्याप्त नहीं होगाअगर नीतीश बीजेपी के साथ जाते हैं, तब बड़ी संख्या में दलित, महादलित, मुस्लिम, ओबीसी और ईबीसी मतदाता एनडीए को वोट दे सकते हैं, और भगवा ब्रिगेड के लिए बिहार में अपनी 17 सीटें बरकरार रखना आसान होगा।भाजपा को एहसास है कि अगर नीतीश और लालू बिहार में संयुक्त रूप से चुनाव लड़ते हैं, तब वे 2015 के विधानसभा चुनाव का अपना प्रदर्शन दोहराएंगे। इस चुनाव में राजद को 80 सीटें, जदयू को 69 और भाजपा को 59 सीटें मिली थीं।

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भाजपा ने दावा किया कि इसकी तुलना में जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गए थे तब उनकी पार्टी जदयू को सिर्फ 43 सीटें और बीजेपी को 74 सीटें मिली थी। उस वक्त नीतीश कुमार और जेडीयू के अन्य नेताओं ने बीजेपी पर साजिश के आरोप लगाए थे।2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश इंडिया गठबंधन के साथ रहे तब बिहार में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की आशंका है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से ललन सिंह के इस्तीफे के बाद नीतीश ने पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली। इससे वह खुद फैसले ले सकते हैं, और एनडीए के साथ जाने से इंकार नहीं किया जा सकता।

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भाजपा के ओबीसी विंग के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा, नीतीश कुमार एक अप्रत्याशित व्यक्ति हैं, जो आम तौर पर लोगों को आश्चर्यचकित करते हैं। अगर वे ललन सिंह को हटाकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनते तब शायद जेडीयू में फूट पड़ जाती। उन्होंने जदयू को फिलहाल टूटने से बचा लिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद वह लालू के सामने उनका मुकाबला करने के लिए खड़े हो सकते हैं। देश आश्चर्यचकित है क्योंकि नीतीश कुमार, जिन्होंने भाजपा के समर्थन से सुशासन शुरू किया था, अब लालू प्रसाद की गोद में बैठे हैं।
वहीं राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मीडिया में चल रही सभी खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। अगर नीतीश एनडीए के साथ जाना चाहते हैं, तब जदयू में कोई भी उन्हें नहीं रोकेगा। इसलिए, ललन सिंह पर यह आरोप लगाना कि वह लालू प्रसाद यादव के करीबी हैं, सही नहीं है।

 

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