Indore News: लहसुन कोई मसाला है या फिर सब्जी, यह सवाल सभी के लिए किसी यक्ष प्रश्न जैसा ही है। हालांकि जब मुद्दा अदालत में पहुंचा,तभी दो जजों की बेंच ने गतिरोध को खत्म कर दिया है।
लहसुन एक महत्वहीन, लेकिन सर्वव्यापी रसोई प्रधान पदार्थ है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच को पौधे की प्रकृति पर निर्णय लेना था और राज्य सरकार के परस्पर विरोधी आदेशों द्वारा उत्पन्न बहस को सुलझाना था। हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल यह तय करेगा कि मोहन सरकार किस बाजार में लहसुन को बेच सकती है, बल्कि राज्य भर में हजारों कमीशन एजेंटों को भी प्रभावित करेगा।
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दरअसल, किसानों के एक समूह की अपील को स्वीकार कर मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने 2015 में एक प्रस्ताव पारित कर लहसुन को सब्जी की श्रेणी में शामिल किया था। हालांकि, इसके तुरंत बाद, कृषि विभाग ने लहसुन को मसाले का दर्जा देकर उस आदेश को रद्द किया, जिसमें कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1972 का हवाला दिया गया था।
जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस डी. वेंकटरमन की बेंच ने मामले पर सुनवाई कर अब 2017 के आदेश को बरकरार रखा है, आदेश में कहा गया है कि लहसुन जल्दी खराब होने वाला है, इसलिए यह सब्जी है।
हालांकि, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि लहसुन को सब्जी और मसाला दोनों बाजारों में बेचा जा सकता है, जिससे इसके व्यापार पर लगे प्रतिबंधों से मुक्ति मिलेगी और किसानों और विक्रेताओं दोनों को फायदा होगा।
यह मामला कई सालों से हाईकोर्ट में चल रहा था। आलू प्याज लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन ने सबसे पहले 2016 में प्रमुख सचिव के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की इंदौर बेंच का रुख किया था, तब सिंगल जज बेंच ने फरवरी 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन फैसले के बाद व्यापारियों ने कहा था कि इससे किसानों को नहीं बल्कि कमीशन एजेंटों को लाभ होगा।
इसके बाद याचिकाकर्ता मुकेश सोमानी ने जुलाई 2017 में आदेश के खिलाफ एक रिव्यू पिटीशन दायर की थी, इस पिटिशन को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर दो जजों की बेंच को भेज दिया था। बेंच ने जनवरी 2024 में यह फैसला देकर कि हाईकोर्ट के पहले के फैसले से केवल व्यापारियों को फायदा होगा, किसानों को नहीं, इस फिर से मसाला के श्रेणी में शामिल कर दिया।
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लहसुन व्यापारियों और कमीशन एजेंटों ने इस साल मार्च में उस आदेश की समीक्षा की मांग की। अंततः इस बार यह मामला जस्टिस धर्माधिकारी और वेंकटरमन की बेंच के सामने आया। बेंच ने 23 जुलाई को अपने आदेश में फरवरी 2017 के आदेश को बहाल किया, जिसमें मंडी बोर्ड के प्रबंध निदेशक को मंडी नियमों में बदलाव करने की अनुमति दी गई, जैसा कि मूल रूप से 2015 में किया गया था। आदेश में कहा गया है, वास्तव में, मंडी की स्थापना किसानों और विक्रेताओं के हित में की गई है, ताकि उन्हें अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके, इसलिए, जो भी उप-नियम बनाए जाते हैं या संशोधित किए जाते हैं, उन्हें किसानों के हित में माना जाएगा।
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बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश को सार्वजनिक किया गया। मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के संयुक्त निदेशक चंद्रशेखर ने कहा कि आदेश से कमीशन एजेंटों को सब्जी मंडियों में लहसुन की बोली लगाने की अनुमति मिलेगी। वहीं, मंदसौर के लहसुन किसान ने कहा कि अब हमारे पास अपनी उपज बेचने के लिए दो विकल्प हैं, इसलिए हमें इस व्यवस्था से कोई समस्या नहीं है। लहसुन पहले से ही शीर्ष मूल्य पर बेचा जा रहा है।