- 'भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, सिर्फ आरोपी या दोषी ठहराया जाना संपत्ति के विध्वंस का आधार नहीं', बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

'भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, सिर्फ आरोपी या दोषी ठहराया जाना संपत्ति के विध्वंस का आधार नहीं', बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने संपत्तियों के ध्वस्तीकरण पर अहम टिप्पणी की है। इसके साथ ही कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी करने को भी कहा है। सुप्रीम कोर्ट के ये दिशा-निर्देश पूरे देश में लागू होंगे।

संपत्तियों के ध्वस्तीकरण यानी बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह संपत्तियों के ध्वस्तीकरण के मुद्दे पर सिर्फ एक खास समुदाय के लिए नहीं बल्कि सभी नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा। कोर्ट ने कहा कि उसके दिशा-निर्देश पूरे भारत में लागू होंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह यह स्पष्ट कर रहा है कि किसी व्यक्ति का सिर्फ आरोपी या दोषी ठहराया जाना संपत्ति के ध्वस्तीकरण का आधार नहीं हो सकता।

हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले में अहम टिप्पणी की है। बेंच ने कहा, 'हम जो भी फैसला कर रहे हैं, हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है। हम इसे सभी नागरिकों, सभी संस्थाओं के लिए जारी कर रहे हैं, किसी खास समुदाय के लिए नहीं।'

किसी खास धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता- सुप्रीम कोर्ट

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बेंच ने कहा कि किसी खास धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता। उसने कहा कि वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीनों या जंगलों पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। कोर्ट ने कहा, 'हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि हमारा आदेश किसी सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करने वालों की मदद न करे।'

इस मामले की सुनवाई अभी भी जारी है

आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई अभी भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में आरोपियों की संपत्तियों समेत अन्य संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। कोर्ट ने 17 सितंबर को कहा था कि आरोपियों और अन्य की संपत्तियों को उसकी अनुमति के बिना 1 अक्टूबर तक ध्वस्त नहीं किया जाएगा।

अवैध विध्वंस का मामला संविधान के मूल्यों के खिलाफ


तब सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा था कि अगर अवैध विध्वंस का एक भी मामला है, तो यह हमारे संविधान के 'मूल्यों' के खिलाफ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन या तालाब जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा। यह उन मामलों पर भी लागू नहीं होगा, जिनमें कोर्ट ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है।

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