- चंद्रयान-3 अब क्या कर रहा है? चांद की सतह से आई ये नई अपडेट

चंद्रयान-3 अब क्या कर रहा है? चांद की सतह से आई ये नई अपडेट

सरकार ने भारत में चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस बीच चंद्रयान-3 को लेकर एक नया अपडेट भी आया है। अब प्रज्ञान ने चांद की सतह पर एक बड़ी खोज की है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 'सॉफ्ट लैंडिंग' की। जिस स्थान पर चंद्रयान उतरा, उसका नाम 26 अगस्त 2023 को 'शिव शक्ति प्वाइंट' रखा गया। सरकार ने भारत में चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस बीच चंद्रयान-3 को लेकर एक नया अपडेट भी आया है। सितंबर 2023 में गहन निद्रा में डाले गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने काम करना जारी रखने के संकेत दिए हैं। एक साल बाद भी वे चांद की सतह की जानकारी धरती पर भेज रहे हैं।

प्रज्ञान ने एक बड़ी खोज की

अब प्रज्ञान ने चांद की सतह पर एक बहुत बड़ा गड्ढा खोज निकाला है। भारत का 'चंद्रयान-3' चांद पर सबसे पुराने 'क्रेटरों' में से एक पर उतरा है। मिशन और उपग्रहों से प्राप्त छवियों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों ने यह संभावना जताई है। किसी भी ग्रह, उपग्रह या अन्य खगोलीय पिंड पर गड्ढे को 'क्रेटर' कहा जाता है। ये 'क्रेटर' ज्वालामुखी विस्फोट से बनते हैं। इसके अलावा, उल्कापिंड के किसी अन्य पिंड से टकराने पर भी 'क्रेटर' बनते हैं।

यह क्रेटर 'नेक्टरियन काल' के दौरान बना था

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फिजिकल रिसर्च लैब और इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि चांद पर जिस 'क्रेटर' पर चंद्रयान उतरा है, वह 'नेक्टरियन काल' के दौरान बना था। 'नेक्टरियन काल' 3.85 अरब साल पहले का है और यह चांद के सबसे पुराने समय में से एक है। फिजिकल रिसर्च लैब के प्लैनेटरी साइंस डिविजन में एसोसिएट प्रोफेसर एस विजयन ने कहा, "चंद्रयान-3 जिस जगह उतरा है, वह एक अनोखी भूगर्भीय जगह है, जहां कोई दूसरा मिशन नहीं पहुंचा है।

रोवर ने तस्वीरें लीं

मिशन के रोवर से प्राप्त तस्वीरें इस अक्षांश पर मौजूद रोवर द्वारा ली गई चंद्रमा की पहली ऐसी तस्वीरें हैं। ये दिखाती हैं कि समय के साथ चंद्रमा कैसे विकसित हुआ। जब कोई तारा किसी ग्रह या चंद्रमा जैसे बड़े पिंड की सतह से टकराता है, तो एक गड्ढा बनता है और इससे विस्थापित होने वाले पदार्थ को 'इजेक्टा' कहते हैं। विजयन ने कहा कि "जब आप रेत पर गेंद फेंकते हैं, तो रेत का कुछ हिस्सा विस्थापित हो जाता है या उछलकर एक छोटे ढेर में बदल जाता है", 'इजेक्टा' भी इसी तरह बनता है।

चंद्रयान-3 160 किलोमीटर व्यास वाले गड्ढे पर उतरा

चंद्रयान-3 एक 'गड्ढे' पर उतरा, जिसका व्यास करीब 160 किलोमीटर है और तस्वीरों से इसकी लगभग अर्धवृत्ताकार संरचना का पता चलता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह गड्ढे का आधा हिस्सा है और बाकी आधा हिस्सा दक्षिणी ध्रुव-'ऐटकेन बेसिन' से निकलने वाले 'इजेक्टा' के नीचे दब गया होगा। प्रज्ञान को चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर उतारा था

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