अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस 2024 विशेष: कूनो में बड़े बाड़े में बंद चीतों को खुले जंगल में छोड़ने पर सहमति बन गई है। अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस यानी 4 दिसंबर को दो नर चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। भविष्य में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर बनाया जाएगा।
देश में चीतों के एकमात्र पर्यावास मध्य प्रदेश के कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में पिछले दो सालों में चीतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल यहां शावकों समेत 24 चीते हैं। हालांकि, विशेषज्ञ इसे परियोजना की आंशिक सफलता मान रहे हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, जब तक चीतों की संख्या 500 नहीं हो जाती, तब तक परियोजना को पूरी तरह सफल नहीं माना जाएगा। इसमें 15 साल भी लग सकते हैं। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अब चीतों की आबादी तेजी से बढ़ेगी।
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चीता के नर शावक करीब एक साल में और मादा शावक डेढ़ साल में वयस्क हो जाती है। इन चीता शावकों को प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। यहां जन्मी एक मादा चीता भी वयस्क हो चुकी है।
दरअसल, इन सभी शावकों के सामने नामीबिया और साउथ अफ्रीका से लाए गए चीतों की तरह जलवायु के अनुकूल न होने की चुनौती नहीं है। ये सभी यहां की जलवायु में पूरी तरह से रच-बसकर बड़े हो रहे हैं।
इसके साथ ही नए क्षेत्रों को शामिल कर कूनो वन्य जीव वन मंडल श्योपुर का क्षेत्रफल बढ़ा दिया गया है। अब कूनो का कुल वन क्षेत्रफल एक लाख 77 हजार 761 हेक्टेयर हो गया है।
कुनो के खुले जंगल में दो चीतों को छोड़ने से पहले चीता संचालन समिति की बैठक होगी। नर चीते अग्नि और वायु को छोड़ा जाएगा। अगले चरण में प्रभाष और पावक को छोड़ने की तैयारी चल रही है। अब पर्यटक खुले जंगल में चीतों का दीदार कर सकेंगे।
चीता प्रबंधन पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। जिस तरह से चीतों का प्रबंधन किया जा रहा है, उससे चीता परियोजना को सफल होने में 15 साल लग जाएंगे। - अजय दुबे, वन्यजीव कार्यकर्ता