कैग ने मध्य प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के उस बयान को मानने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि लिपिकीय त्रुटि के कारण ऐसा हुआ। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने मध्य प्रदेश विधानसभा में कैग रिपोर्ट में सामने आई इस अनियमितता का जिक्र किया है।
मध्य प्रदेश में पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत छह महीने से तीन साल के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और 11 से 14 साल की उन किशोरियों को टेक होम राशन दिया जाता है, जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया है। इसे राज्य के विभिन्न संयंत्रों में तैयार किया जाता है।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने टेक होम राशन पर एक ऑडिट किया और कई अनियमितताओं की ओर इशारा किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन ट्रकों के माध्यम से टेक होम राशन परियोजनाओं को आपूर्ति किए जाने की सूचना दी गई थी, वे मोटरसाइकिल, कार, ऑटो और ट्रैक्टर थे।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्न' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसे लिपिकीय त्रुटि बताया, जिसे CAG ने खारिज कर दिया। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने बुधवार को सदन में CAG रिपोर्ट पेश की। CAG ने 2021 में टेक होम राशन का ऑडिट किया था।
इसमें जिन फर्मों ने ट्रकों से 2.96 करोड़ रुपए कीमत के 467 टन टेक होम राशन की सप्लाई बताई थी, वाहन पोर्टल पर जांच करने पर वे ट्रक नंबर मोटरसाइकिल, कार, ऑटो, ट्रैक्टर और टैंकर के रूप में रजिस्टर्ड पाए गए। इससे साफ है कि फर्जी सप्लाई के रिकॉर्ड पेश किए गए।
इससे आपूर्तिकर्ताओं और परियोजना अधिकारियों के बीच संभावित मिलीभगत की ओर इशारा होता है। इसके अलावा, फर्मों ने इस आपूर्ति के लिए गेहूं और चावल के न्यूनतम समर्थन मूल्य और रियायती दर के बीच के अंतर के रूप में 35.74 लाख रुपये का अनुचित लाभ उठाया।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्न' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं।
2.5 करोड़ रुपये मूल्य के 404 टन टेक होम राशन की आपूर्ति ट्रकों के माध्यम से की गई, जिनका रिकॉर्ड वाहन पोर्टल पर नहीं मिला। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस आपत्ति के जवाब में इसे लिपिकीय त्रुटि बताया, लेकिन समर्थन में गेट पास, ट्रांसपोर्टर का बिल, तौल मशीन की पर्ची आदि प्रस्तुत नहीं की।
सीएजी ने जवाब को खारिज करते हुए कहा कि चालान डिस्पैच और गेट पास अलग-अलग अधिकारियों ने तैयार किए, इसलिए दोनों लिपिकीय त्रुटि नहीं कर सकते। रिपोर्ट में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सतर्कता जांच शुरू करने और जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की गई। साथ ही कहा गया कि ट्रकों की प्रामाणिकता की नियमित आधार पर जांच के लिए स्वतंत्र तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। जीपीएस से लैस वाहनों का उपयोग भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सीएजी ने अपनी जांच में पाया कि वर्ष 2018-21 के दौरान बाड़ी, धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी प्लांट में टेक होम राशन का स्टॉक नहीं होने के बावजूद 277 चालान के जरिए 178 परियोजनाओं को 773.21 टन आपूर्ति की गई।
आठ परियोजनाओं को आपूर्ति किए गए टेक होम राशन को स्टॉक रजिस्टर में दर्ज किया गया। इससे धोखाधड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। टेक होम राशन तैयार करने के लिए रियायती दरों पर गेहूं और चावल भी उठाया गया, जिससे 60.21 लाख रुपये का अनुचित लाभ उठाया गया। इस बिंदु के जवाब में महिला एवं बाल विकास विभाग ने कहा कि ऑडिट में किसी विशेष दिन उत्पादित और आपूर्ति की गई मात्रा पर विचार किया गया, जबकि प्लांट में उत्पादन निरंतर होता रहता है। यदि आपूर्ति की गई मात्रा की तुलना में कभी स्टॉक में कमी होती है, तो उसे निरंतर उत्पादन से पूरा किया जाता है।
सीएजी ने इस जवाब को खारिज कर दिया और सिफारिश की कि स्टॉक की पुष्टि करने और परियोजनाओं को जारी किए गए स्टॉक के लिए एक ऑनलाइन तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
प्लांट टेक होम राशन तैयार करने के लिए सात प्लांट लगाए गए थे। इनका संचालन महिला स्वयं सहायता समूहों के महासंघ द्वारा किया जाना था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने प्लांट का प्रबंधन मिशन को इस शर्त पर सौंपा था कि वह समूह के सदस्यों को गतिविधियां सौंपेगा, ताकि रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
समूह को 10 प्रतिशत लाभ भी दिया जाएगा। जांच में पाया गया कि ठेकेदार उत्पादन में लगे थे और महिलाएं हाउसकीपिंग में तैनात थीं। 2020-21 में 21.28 करोड़ रुपये का लाभ हुआ, लेकिन समूहों को 2.18 करोड़ रुपये नहीं दिए गए।