प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसी व्यक्ति को पागल कहने के मामले में कहा कि लापरवाही से दिया गया बयान अनुचित और असभ्य हो सकता है लेकिन कोई अपराध नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि अनौपचारिक माहौल में ऐसी टिप्पणियां लापरवाही से की जा सकती हैं यहां तक की आकस्मिक बातचीत का हिस्सा भी बन सकती हैं लेकिन ऐसे संबोधन में जानबूझकर किसी को शांति भंग करने के लिए उकसाने के उद्देश्य नहीं हो सकते हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा की एकल पीठ ने याची संगीता की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया।
मामले के अनुसार शिकायतकर्ता दशरथ कुमार दीक्षित ने जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी के समक्ष याची और 10 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत शिकायत दर्ज की और आरोप लगाया था कि याची ने उसे पागल व्यक्ति कहकर संबोधित किया है। जिसके बाद याची के खिलाफ जिला अदालत वाराणसी द्वारा सम्मन आदेश जारी किया गया जिसे याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट के समक्ष याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने अपने बयान में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया है जिसे आईपीसी की धारा 504 के तहत अपराध माना जा सके क्योंकि वास्तव में मौजूदा मामले में जानबूझकर अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था।